नर्मदापुरम। सूर्य की उपासना का महापर्व छठ पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं, नर्मदा पुरम के सेठानी घाट पर भी छठ पर्व मनाने पहुंची महिलाओं ने बीच नदी में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया. छठ पर्व मनाने उत्तर भारतीय परिवार सेठानी घाट पर पहुंचे थे. बता दें कि छठ पर्व उत्तर भारतीय परिवारों में बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है. नर्मदा पुरम में रहने वाले उत्तर भारतीय परिवारों ने भी मां नर्मदा में पहुंचकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया.
बिहार का प्रमुख त्योहार है छठ: इस महापर्व के पर छठी मइया के लिए प्रसाद तैयार किया गया, जिसे खरना कहा जाता है. नर्मदा के सेठानी घांट पर चार दिनों तक चलने वाले इस छठ महापर्व पर हर दिन का खास महत्व है. मां नर्मदा के सेठानी घांट पर छठी मैया की पूजन करने पहुंचे परिवार ने बताया कि ''छठ की शुरुआत नहाए खाए से होती है. खरना का जो प्रसाद तैयार होता है उसके लिए पहले गेहूं को अच्छे से धोकर पिसवाया जाता है. छठ व्रत रखने वाले श्रद्धालु दिनभर उपवास रख कर गंगाजल लाकर खरना का प्रसाद तैयार करते हैं. खरना का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर तैयार होता है. आम की लकड़ी से छठी मैया का प्रसाद बनाया जाता है. प्रसाद में गुड़ और चावल की खीर, आटे की रोटी बनाई जाती है. इस व्रत में घर के सदस्य प्रसाद बनाने में मदद करते हैं, जो लोग प्रसाद बनाने में मदद करते है वो स्नान करके ही प्रसाद बनाते है, उपवास रखते हैं, मिट्टी के चूल्हे पर बने प्रसाद का भोग लगाया जाता, चावल की बनी खीर, रोटी और केला छठी मइया को चढ़ाई जाती है. सभी घर के सदस्य हवन पूजन करके छठी मइया का आशीर्वाद लेते हैं.''