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chaitra navratri 2023:175 साल पुराने अंबा माई मंदिर में आज भी दर्शन करने आते है बाघ

हिल स्टेशन पचमढ़ी में 175 साल प्राचीन अंबा माई मंदिर में चैत्र नवरात्रि शुरू हो गई है. इस मंदिर में संतानोत्पत्ति की मनोकामना लेकर सैकड़ों लोग 9 दिन आएंगे. इसके यहां 9 दिनों तक विशेष अनुष्ठान किए जाएंगे. अंबा माई ऐसा मंदिर है जहां जगदंबा की सबसे पुरानी प्रतिमा मां बगलामुखी की है, इसमें मां उल्टे शेर पर बैठी है. मां की इस प्रतिमा को तांत्रिक लोग ज्यादा मानते हैं. आज भी यहां तांत्रिक आकर इस मंदिर में पूजा पाठ करते हैं.

chaitra navratri 2023
अंबा माई मंदिर में आज भी दर्शन करने आते है बाघ

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Published : Mar 22, 2023, 9:13 PM IST

नर्मदापुरम:पचमढ़ी के महल की रानी ने 175 साल पहले यहां मां जगदंबा की प्रतिमा की स्थापना की थी. इस सिद्ध देवी प्रतिमा के दर्शन करने आज भी बाघ आते हैं. पचमढ़ी के प्रवेश द्वार पर मां अंबे के मंदिर में नवरात्रि पर एक बार बाघ देवी के दर्शन करने जरूर आता है. यहां नवरात्रि पर अंबा माई के दर्शन करने आए बाघों को सैकड़ों लोग देख चुके हैं. अधिकांश देर रात को बाघ दर्शन करता है और मंदिर में किसी को भी नुकसान पहुंचाए. बिना जंगल में वापस चला जाता है.

नवरात्रि के दिनों में बाघ आते हैं दर्शन करने:मंदिर की सेवादार अंता बाई बताती हैं, कि मां अंबा माई हर भक्त की मुराद पूरी करती है. दंपत्ति यहां संतान उत्पत्ति की कामना के लिए आते हैं और उनकी मुराद भी पूरी होती है. कोई यहां से निराश नहीं होता. अंता बाई कहती हैं, कि मंदिर के बाहर एक चट्टान है. वहां नवरात्रि के दौरान एक बार देर रात को बाघ जरूर आता है. माता के दर्शन करके वापस चला जाता है. कई बार हमारा मंदिर के सामने बाघ से सामना हो चुका है, लेकिन माता की कृपा से वह हमें नुकसान नहीं पहुंचाता.

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इस मंदिर में हर व्यक्ति को मुराद होती है पूरी: मंदिर के पुजारी प्रशांत पटेरिया कहते हैं, कि "अम्बा माई से संतानोत्पत्ति सहित सभी मांगलिक कार्य के लिए मनोकामनाएं मांगी जाती और वह पूरी भी होती है." पुजारी बताते हैं कि "सालों पहले तक बाघ नवरात्रि के दौरान मंदिर में आकर बैठता था, लेकिन अब चहल-पहल और रोनक ज्यादा रहती है. इस कारण जंगल से निकलकर बाघ दूर से ही मां के दर्शन कर चला जाता है. मां अंबा माई हर व्यक्ति की मुराद पूरी करती है. पचमढ़ी आने वाले अधिकांश श्रद्धालु पर्यटक मां जगदंबे के दर्शन करने जरूर आते हैं. यहां आकर जो भी मनोकामना मांगता है. मुराद पूरी होने पर दोबारा यहांं प्रसाद की कढ़ाई करने जरूर करने आता है.

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