नर्मदापुरम। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 4 अप्रैल को राष्ट्र कवि पं. माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती पर माखननगर में गौरव दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे. लोग बाबई का नाम माखननगर किए जाने पर सीएम का आभार व्यक्त करेंगे. बाबई का नाम परिवर्तन के बाद पहली बार प्रदेश के मुखिया माखननगर पहुंच रहे हैं. इसके लिए प्रशासन तैयारियों में जुटा है. दो दिन से कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, एसपी गुरुकरण सिंह सहित कई अफसर तैयारियों में जुटे हैं.
नर्मदा जयंती पर सीएम ने की थी घोषणा
8 फरवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जल मंच से होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम एवं होशंगाबाद जिले की तहसील बाबई का नाम माखननगर करने की घोषणा की थी. राष्ट्रीय कवि माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली होने के चलते इस क्षेत्र का नाम उनके नाम पर करने की मांग यहां की जनता काफी समय से कर रही थी. बाबई का नाम माखननगर रखने की मांग ने जोर पकड़ा तो मुख्यमंत्री ने नर्मदा जयंती के दिन नाम परिवर्तन कर दिया. दरअसल, नर्मदा जयंती के दिन 8 फरवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जल मंच से होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम एवं होशंगाबाद जिले की तहसील बाबई का नाम माखननगर करने की घोषणा की थी.
माखननगर में गौरव दिवस कार्यक्रम ऐसी चल रही हैं तैयारियां :यहां के कार्यालयों, बाजारों, बैंक, पोस्ट आफिस और अन्य सार्वजनिक स्थानों में व्यापक जन सहयोग से माखननगर की नाम पट्टिकाएं लगाई गई हैं. गौरव दिवस पर स्थानीय नागरिक सामाजिक संस्थाओं के साथ नगर विकास के प्रयासों में सहयोग करने का संकल्प भी लेंगे. माखननगर में प्रत्येक परिवार ने एक वृक्ष लगाने, जल संरक्षण के लिए कार्य करने, नगर के आंगनबाड़ी केंद्रों और विद्यालयों को जनसहयोग से उत्कृष्ट बनाने, बेटियों के जन्म पर उत्सव और स्वच्छता के संकल्प के लिए पहल की है. गौरव दिवस के लिए माखननगर में दो और तीन अप्रैल को पीले चावल देकर नागरिकों को आमंत्रित किया जाएगा. माखननगर में विभिन्न कार्यों के लोकार्पण भी होंगे.
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माखन दादा का नाम मशहूर हैं :भारत के प्रमुख कवि, लेखक एवं पत्रकार के रूप में अपनी छवि बनाने वाले कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 ई. में मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले की तहसील बाबई में हुआ. उनके पिताजी का नाम नंदलाल चतुर्वेदी और माता का नाम सुंदरीबाई था. इनके पिताजी अपने ग्राम सभा में स्थित एक प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक थे. चतुर्वेदी जी की प्रारंभिक शिक्षा बाबई में हुई तथा प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, गुजराती अथवा अंग्रेजी जैसी कई भाषाओं का ज्ञान घर पर ही प्राप्त किया था. माखनलाल चतुर्वेदी जब 16 वर्ष के थे तब स्कूल में अध्यापक बन गए थे. उन्होंने 1906 से 1910 तक एक विद्यालय में अध्यापन का कार्य किया. कुछ दिनों तक अध्यापन करने के बाद चतुर्वेदी जी राष्ट्रीय पत्रिकाओं में सम्पादक का काम देखने लगे. इन्होंने 1913 ई. में प्रभा और कर्मवीर नामक राष्ट्रीय मासिक पत्रिका का संपादन करना शुरू किया. (Name change of Babai to MakhanNagar) ( national poet Makhanlal Chaturvedi)