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माखनलाल चतुर्वेदी की 53वीं पुण्यतिथि, जन्म स्थान पर संग्रहालय बनाने की मांग - Non Cooperation Movement

माखनलाल चतुर्वेदी की 53वीं पुण्यतिथि है. माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 में होशंगाबाद जिले के बाबाई तहसील में हुआ था. यहां उन्होंने पढ़ाई की थी. अब इस जगह संग्रहालय बनाने की मांग की जा रही है, ताकि उनको आने वाली पीढ़ी याद कर सके.

Makhanlal Chaturvedi death anniversary
माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यतिथि

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Published : Jan 30, 2021, 11:38 AM IST

होशंगाबाद। माखनलाल चतुर्वेदी की 53वीं पुण्यतिथि है. वे ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे. माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 में होशंगाबाद जिले के बाबाई तहसील में हुआ था. उनके पिता का नाम नंदलाल और माता का नाम सुंदर बाई था. माखनलाल चतुर्वेदी का देहांत 30 जनवरी 1968में हुआ था. उनके द्वारा लिखी गई रचनाएं अत्यंत लोकप्रिय हुईं. प्रभा और कर्मवीर जैसे प्रतिष्ठत पत्रों के संपादक के रूप में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जोरदार प्रचार किया और नई पीढ़ी का आह्वान किया कि वह गुलामी की जंजीरों को तोड़कर बाहर आए. साल 1920-21 के असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेते हुए जेल भी गए. उनकी कविताओं में देश प्रेम के साथ साथ प्रकृति प्रेम का भी चित्रण हुआ है.

असहयोग आंदोलन में प्रथम गिरफ्तारी
महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन और अंत में जलियांवाला बाग जैसे नृशंस व क्रूर जुल्मों से भारत ही नहीं बल्कि माखन नगर(बाबई) भी प्रभावित हुआ. महात्मा गांधी ने कई आंदोलन चालाए जैसे असहयोग आंदोलन, विदेशी वस्त्र बहिष्कार और शासकीय नौकरियों का भी बहिष्कार किया. उनके आवाहन पर बाबई के साथ जनमानस भी आंदोलन में शामिल हुआ. सन 1923 में प्रथम बार एक साथ तीन भारतीय नेता पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, महात्मा भगवानदीन और तपस्वी सुंदर लाल बाबई आये और इस क्षेत्र में एक विशाल सभा की. उन्होंने असहयोग के ओजस्वी स्वर में सभा को संबोधित किया. सभा व्यवस्था में ग्राम के साथ स्थानीय माध्यमिक शाला के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने सक्रिय सहयोग दिया.

साहित्यिक योगदान

माधवराव सप्रे के ‘हिन्दी केसरी’ ने सन 1908 में ‘राष्ट्रीय आंदोलन और बहिष्कार’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया. जिसमें माखनलाल चतुर्वेदी का निबंध प्रथम चुना गया. अप्रैल 1913 में खंडवा के हिन्दी सेवी कालूराम गंगराड़े ने मासिक पत्रिका ‘प्रभा’ का प्रकाशन आरंभ किया. जिसके संपादन का दायित्व माखनलाल को सौंपा गया. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लिखने और स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण ‘प्रभा’ का प्रकाशन बंद हो गया था. 1954 में साहित्य अकादमी पुरस्कारों की स्थापना होने पर हिन्दी साहित्य के लिए प्रथम पुरस्कार माखनलाल को हिमतरंगिनी के लिए प्रदान किया गया. पुष्प की अभिलाषा और अमर राष्ट्र जैसी ओजस्वी रचनाओं के रचयिता इस महाकवि के कृतित्व को सागर विश्वविद्यालय ने 1959 में मानद उपाधि से विभूषित किया. 1963 में भारत सरकार ने पद्मभूषण से अलंकृत किया.

माखनलाल चतुर्वेदी का संग्रहालय बनाने की मांग

माखनलाल चतुर्वेदी कवि होने के साथ-साथ एक पत्रकार, निबंधकार और सफल संपादक भी थे. वे स्वाभिमानी और स्पष्टवादी होने के साथ में अति भावुक भी थे. यही कारण है कि उनकी काव्य रचनाओं में जहां एक ओर आग है तो दूसरी और करुणा की भागीरथी भी है. उन्होंने त्याग, बलिदान, देशभक्ति का अनूठा संगम हिंदी काव्य सरिता को प्रदान किया है. शब्द उनकी भावनाओं का अनुगमन करते प्रतीत होते हैं. उनकी साहित्य सेवा को भारत सरकार ने पद्म भूषण की उपाधि और सागर विश्वविद्यालय में डीलिट की उपाधि द्वारा सम्मानित किया. बाबई के वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी महेंद्र सिंघाई का कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी माखनलाल चतुर्वेदी के नाम पर बाबई में उनका बेसिक स्कूल, कॉलेज, प्रतिमा, स्कूल रूम भी है. जहां वह पढ़े हुए हैं वह भी खस्ताहाल है. बाबई में माखनलाल चतुर्वेदी का संग्रहालय होना आवश्यक है, ताकि उनको आने वाली पीढ़ी याद कर सके.

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