हरदा। हंडिया गांव स्थित ऋद्धेनाथ महादेव का मंदिर प्राचीन काल से ही मान्यताओं का घर रहा है. इस मंदिर में प्रवेश द्वारा की जगह स्वंय नंदी जी विराजमान है. शिवालयों में मुख्य द्वार पर प्रवेश द्वार होते है लेकिन ऋद्धेनाथ महादेव मंदिर में प्रवेश द्वार के स्थान पर नंदी स्वंय प्रकट हो कर मंदिर की रक्षा करते हैं.
इस मंदिर में भगवान नंदी करते हैं रक्षा इस मंदिर में प्रवेश के लिए उत्तर और दक्षिण दिशा से रास्ता है. ऋद्धेनाथ महादेव मंदिर के सामने वाले सभा मंडप की मरम्मत 1623 ईस्वी में हुई थी. मंदिर में 5 पंडित ब्रह्म मुहूर्त में भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं. यहां दीपावली के दिन नर्मदा नदी में स्नान करने के बाद श्रध्दालु भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं.
यह मंदिर हरदा से 20 किलोमीटर दूर हंडिया गांव में स्थित है. नर्मदा नदी के तट पर स्थापित ऐतिहासिक ऋद्धेनाथ महादेव की स्थापना धन के राजा कुबेर ने महादेव के आदेश से की थी. जब रावण ने धन के राजा कुबेर से अलकापुरी का राज छीन लिया तब पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया.
इसके बाद धनराज कुबेर जी ने सलिला नर्मदा नदी के तट पर महादेव की कठिन तपस्या की थी. कुबेर की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने नर्मदा नदी के दक्षिण तट पर उनके ऋद्धेनाथ महादेव के रूप की स्थापना करने पर रावण द्वारा छीनी गई अलकापुरी का राज्य पुनः वापस करने का वरदान दिया था.
कुबेर ने भगवान महादेव के ऋद्धनाथ की स्थापना की थी जिसका उल्लेख होशंगाबाद के गजेटियर में भी है. दीपावली पर हजारों श्रद्धालुओं द्वारा नर्मदा नदी में आस्था की डुबकी लगाकर धन्य धान्य और खुशहाली की कामना की जाती है.