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पुरुष नसबंदी में हरदा जिला फिसड्डी, लक्ष्य के मुकाबले मात्र 3 पुरुषों ने ही कराई नसबंदी - Family welfare campaign

पुरुष नसबंदी के मामले में हरदा जिला फिसड्डी साबित हुआ है, जहां निर्धारित लक्ष्य 326 के मुकाबले केवल तीन पुरुषों ने ही अब तक नसबंदी कराई है.

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केवल 3 पुरुषों ने ही कराई नसबंदी

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Published : Dec 15, 2020, 6:10 PM IST

हरदा। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सरकार द्वारा चलाए जा रहे परिवार कल्याण अभियान पर पुरुष मानसिकता हावी दिखाई दे रही है. महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों ने नसबंदी कराने के लिए रुचि नहीं दिखाई है, जिसके चलते इस वर्ष में कुल निर्धारित लक्ष्य 326 के मुकाबले केवल तीन पुरुषों ने ही अब तक नसबंदी कराई है, जबकि निर्धारित लक्ष्य 2932 के मुकाबले अब तक 329 महिलाओं ने परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत ऑपरेशन करावा लिया है. हालांकि अभी सत्र समाप्त होने में 3 महीने का समय बाकी है, जिसमें लक्ष्य पूर्ति को लेकर नसबंदी ऑपरेशन किए जाने हैं.

केवल 3 पुरुषों ने ही कराई नसबंदी
  • नसबंदी को लेकर लोगों में भ्रम

पुरुष नसबंदी कम होने के पीछे एक बड़ा कारण सामने आ रहा है, जिसमें पुरुषों को इस बात का भ्रम है कि, नसबंदी कराने के बाद उन्हें कमजोरी आती है. इसको लेकर अशिक्षित लोगों के साथ-साथ शिक्षित लोग भी शासन के इस कार्यक्रम में रुचि नहीं दिखा रहे हैं.

  • जागरुकता अभियान नहीं आ रहा काम

स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल नसबंदी को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाता है, जिस पर एक बड़ी राशि व्यय की जाती है, लेकिन फिर भी लक्ष्य पूर्ति नहीं हो पा रही है.

  • सिर्फ 3 पुरुषों ने कराई नसबंदी

स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुरुष नसबंदी को लेकर 21 नवंबर से 4 दिसंबर 2020 तक पखवाड़े का आयोजन किया गया था, लेकिन इसके बावजूद भी मात्र तीन पुरुषों ने ही अब तक नसबंदी कराई.

  • सोमवार और बुधवार को निशुल्क होती है नसबंदी

शासन की मंशा को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन बीते 5 सालों से पुरुष नसबंदी का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है. बता दें कि, प्रतिदिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र टिमरनी में शनिवार, खिरकिया में गुरुवार, सिराली में रविवार और हंडिया में सोमवार और बुधवार को निःशुल्क नसबंदी ऑपरेशन किए जाते है. बीते साल भी पुरुष नसबंदी के कुल लक्ष्य 350 के मुकाबले मात्र 23 पुरुषों ने ही नसबंदी कराई थी, जबकि निर्धारण लक्ष्य 3150 के मुकाबले 2505 महिलाओं ने सरकारी अस्पतालों में नसबंदी कराई थी.

  • हर साल नसबंदी का लक्ष्य हो रहा कम

स्वास्थ्य विभाग के आकड़ों के मुताबिक, हर साल लक्ष्य कम हो रहा है, जबकि पुरुष और महिलाओं को नसबंदी कराने के प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है और ऑपरेशन भी निःशुल्क किए जाते हैं.

सिविल सर्जन डॉक्टर किशोर कुमार नागवंशी का कहना है कि, पुरुष नसबंदी के प्रति महिलाओं की अपेक्षा कम जागरूक हैं. पुरुषों में नसबंदी को लेकर कई तरह के भ्रम है. पुरुषों में नसबंदी के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए विभाग द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि, पुरुषों में नसबंदी के बाद बीमार होने और कमजोर होने का भ्रम है, जबकि नसबंदी में कोई चिरैया टीका नहीं लगता है. नसबंदी के आधे घंटे बाद ही व्यक्ति घर जा सकता है.

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