हरदा। पिछले 42 सालों में प्रदेश की जीवनदायिनी कहलाने वाली नर्मदा नदी का जल स्तर मार्च महीने में ही सबसे कम हो गया है. इसकी मुख्य वजह कम बारिश होना बताया जा रहा है, जबकि दूसरी रेत माफियाओं द्वारा रेत का दोहन करना दूसरी वजह बतायी जा रही है. यही वजह है कि लाखों लोगों की आस्था का केंद्र मानी जाने वाली नर्मदा नदी अपनी बदहाली के आंसू बहाते नजर आ रही है.
42 सालों में सबसे कम हुआ नर्मदा का जलस्तर, नदी की दुर्दशा से केवटों को रोजी-रोटी का संकट - रेत का दोहन,
जल स्तर कम होने पर नर्मदा नदी में पिछले कई सालों से स्नान और पूजन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं ने भी नर्मदा नदी की इस बदहाली पर चिंता जाहिर की है.
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हंडिया जल सयंत्र से पूरे नगर को पीने के लिए पानी नगर पालिका के द्वारा उपलब्ध कराया जाता है. बीते साल नर्मदा नदी में आई पानी की कमी के चलते नदी में पानी रोककर नर्मदा नदी में नहर बना कर जल आपूर्ति करने की नौबत आ गई थी. इस समय यदि यही हालात रहे तो अप्रैल और मई में पड़ने वाली भीषण गर्मी के दौरान जिले के अनेक गांवों में भारी जल संकट की स्तिथि बन सकती है.
नर्मदा नदी में पिछले कई सालों से स्नान और पूजन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं ने भी नर्मदा नदी की इस बदहाली को लेकर चिंता जाहिर की. उनका कहना है कि मार्च महीने में नर्मदा नदी के जल में इतनी कमी पहली बार ही देखी है. गर्मी बढ़ने के साथ ही जल स्तर में और कमी आने की संभावना है. नर्मदा नदी में नाव चलाकर अपने परिवार का पेट भरने वाले नाविक सतीश केवट का कहना है कि इस तरह ही नर्मदा नदी के जलस्तर में कमी आई तो आने वाले दिनों में पत्थरों के ऊपर आने की वजह से नाव चला पाना मुश्किल हो जाएगा.