हरदा। पिछले 42 सालों में प्रदेश की जीवनदायिनी कहलाने वाली नर्मदा नदी का जल स्तर मार्च महीने में ही सबसे कम हो गया है. जहां जलस्तर में आई कमी की मुख्य वजह कम बारिश होना है. वहीं इसके साथ ही पिछले कई सालों से नर्मदा नदी से रेत माफियाओं के द्वारा रेत का दोहन करना भी है. जिसके चलते लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र मानी जाने वाली नर्मदा नदी अपनी बदहाली के आंसू बहाते नजर आ रही है.
हरदा जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर ग्राम हंडिया और पड़ोसी जिले देवास को जोड़ने वाले नर्मदा नदी के पुल से गुजरने के दौरान नर्मदा नदी की इस दयनीय दशा को देखा जा सकता है. भारत सरकार के केंद्रीय जल आयोग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में नर्मदा नदी का जल स्तर 260.300 मीटर है, जिसे इस समय 260.500 मीटर होना चाहिए. वर्ष 1977 में मई महीने में नर्मदा नदी का जल स्तर 260.330 मीटर हुआ था.
नर्मदा नदी का जलस्तर में कमी पूरे जिला में हंडिया जल सयंत्र से पूरे नगर को पीने के लिए पानी नगर पालिका के द्वारा उपलब्ध कराया जाता है. वहीं बीते साल नर्मदा नदी में आई पानी की कमी के चलते नदी में पानी रोककर नर्मदा नदी में नहर बना कर जल आपूर्ति करने की नौबत आ गई थी. बता दें इस समय यदि यही हालत रहे तो अप्रैल और मई में पड़ने वाली भीषण गर्मी के दौरान हरदा जिले के अनेकों गांवों में भारी जल संकट की स्तिथि बन सकती है.
नर्मदा नदी में पिछले कई सालों से स्नान और पूजन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं ने भी नर्मदा नदी की इस बदहाली को लेकर चिंता जाहिर की. उनका कहना है कि मार्च महीने में नर्मदा नदी के जल में इतनी कमी पहली बार ही देखी है. उनका मानना है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही जल स्तर में और कमी आने की संभावना है. नर्मदा नदी में नाव चलाकर अपने परिवार का पेट भरने वाले नाविक सतीश केवट का कहना है कि इस तरह ही नर्मदा नदी के जलस्तर में कमी आई तो आने वाले दिनों में पत्थरों के ऊपर आने की वजह से नाव चला पाना मुश्किल होगा.