हरदा। जिला कांग्रेस कमेटी ने सोमवार को हरदा के निजी होटल में पत्रकार वार्ता कर हरदा जिले की सहकारी समितियों में हुए घोटाले और किसानों की समस्या को लेकर अपनी बात रखी. इस दौरान पूर्व कांग्रेस विधायक डॉक्टर आरके दोगने और कांग्रेस जिलाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण पवार ने बीते दिनों हरदा जिले की खिरकिया तहसील के चौकड़ी सोसाइटी के सामने तीन किसानों के द्वारा कीटनाशक पीकर आत्महत्या करने की कोशिश करने वाले किसानों को प्रशासन के द्वारा अपात्र बताए जाने और उनके नाम से समिति में कोई रजिस्ट्रेशन ना होने की बात कही जाने को लेकर मीडिया के सामने किसानों के पक्ष में बात रखी गई. जहां पर चौकड़ी सोसाइटी में बेची गई चने की उपज को लेकर मीडिया के सामने अपना पक्ष रखते हुए आत्महत्या की कोशिश करने वाले किसान परमानंद बिश्नोई और संदीप बिश्नोई के दस्तावेज पेश किए.
कांग्रेस ने लगाए आरोप
कांग्रेस का आरोप है कि चौकड़ी सोसायटी को पूर्व में डिफाल्टर घोषित कर दिया गया था, लेकिन स्थानीय विधायक और प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने अपने हाथों से कलेक्टर को एक पत्र लिखकर चौकड़ी सोसायटी से खरीदी शुरू कराने की अनुशंसा की थी. वही जिस सहकारिता आयुक्त अखिलेश चौहान के मार्गदर्शन में भ्रष्टाचार हुआ है उस अधिकारी को भी कृषि मंत्री ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है. जिससे प्रतीत होता है कि जो जितना भ्रष्टाचार करता है उसे उतना बड़ा इनाम दिया जाता है.
कांग्रेस का कहना है कि किसानों के बिल फर्जी हो ही नहीं सकते, क्योंकि बिल बनने से पहले किसानों का ऑनलाइन पंजीयन होता है, अगर किसान से कोई गलती होती है, तो जिले के वरिष्ठ अधिकारी ने 5 महीने तक इन लोगों की शिकायत क्यों नहीं की. वहीं जिन किसानों को फर्जी किसान बताया जा रहा है उनके पास बेची के उपाय से संबंधित सभी पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध है. साथ ही कांग्रेस का आरोप है कि कृषि मंत्री कमल पटेल ने चौकड़ी सोसायटी के सभी किसानों का बीते साल का 42 लाख रुपए का भुगतान होना बताया जा रहा है. वहीं आज भी 14 किसानों को 11 लाख 68 लाख रुपए का भुगतान नहीं मिल पाया है.
कांग्रेस जिला अध्यक्ष पवार ने प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल से चौकड़ी सोसाइटी में हुए घोटाले को लेकर नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की बात कही है. वहीं पूर्व विधायक दोगने का कहना है कि, जिस किसान परमानंद बिश्नोई को प्रशासन ने फर्जी बताया है. उसके परिवार के पास 80 एकड़ जमीन है, जिसमें उसकी पत्नी, माता, पिता, भाई और बड़ी ताई के नाम से अलग अलग रकबे है, जिसमें उनके द्वारा चना बेचा गया था, उनके परिवार को 2 खातों में 70 हजार का भुगतान किया गया है, जो प्रशासन के द्वारा वापस मांगने के लिए दबाव डाला जा रहा है. वहीं करीब डेढ़ सौ क्विंटल का भुगतान बकाया है. उनका कहना है कि उन्होंने प्रशासन से वेयर हाउस में रखे माल की जांच के लिए अपील कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने किसी भी व्यारा को सील नहीं किया है.