हरदा।जिले के दौरे पर आए कृषि मंत्री कमल पटेल ने खरीफ 2019 के फसल बीमा के क्षतिपूर्ति प्रस्ताव पर सहमति के अनुमोदन पर अपनी मुहर लगा दी है. जिसके बाद अब पिछले वर्ष का बकाया साढे़ चार हजार करोड़ रुपए की राशि सीएम शिवराज सिंह चौहान 6 सितंबर को किसानों के खाते में ट्रांसपर करेंगे. राशि सीधे प्रदेश के 20 लाख से अधिक किसानों के खातों में पहुंच जाएगी. इसमें हरदा जिले के 57,620 किसानों को 109 करोड़ों से अधिक बीमा की राशि मिलेगी.
कृषि मंत्री ने किया बीमा राशि का अनुमोदन प्रीमियम भरने की तिथी बढ़ी
कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि वर्ष 2020 के फसल बीमा के लिए कंपनी का चयन कर लिया है. इस बार भी भारत शासन के अंतर्गत कार्य करने वाली एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी का चयन किया गया है. जिसके लिए राज्य सरकार लगभग 27 व करोड़ का प्रीमियम भार बहन करेगी. मंत्री कमल पटेल ने बताया पूर्व में खरीफ फसल के बीमे के लिए 17 अगस्त की अवधि निर्धारित की गई थी, लेकिन किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए तिथि को बढ़ाते हुए 31 अगस्त कर दिया है.
डिफाल्टर किसानों को भी बीमा का मौकासरकार के द्वारा 42 जिलों के करीब 20 लाख किसानों को बीमा की राशि का भुगतान किया जा रहा है. मंत्री पटेल ने बताया कि जिन किसानों के द्वारा अब तक बीमा नहीं कराया गया क्या वह सभी किसान जो सहकारी बैंक या अन्य बैंकों में डिफाल्टर है उन्हें भी अपनी फसल का बीमा कराए जाने का मौका प्रदान किया गया है. साथ ही उन्होंने सभी किसानों से 31 अगस्त तक अनिवार्य रूप से अपनी फसलों का बीमा कराए जाने की अपील की है.
पंजीयन का काम जारी
कमल पटेल ने कहा, कि इस तरह के सर्वे में गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं होगी और किसानों को इसका लाभ मिल सकेगा. कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसानों से चर्चा में कहा कि फसल बीमा योजना के लिए पंजीयन का काम ऑनलाइन और ऑफलाइन जारी है, किसान कैंपों में जाकर फसलों का बीमा करा लें जिससे उनको लाभ दिलाया जा सके.
कार्यकर्ता अधिकारियों के साथ मंत्री कृषि मंत्री सर्वे का पंचनामा बनाना आवश्यक
खेतों में निरीक्षण करने पहुंचे कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसानों के बीच फिर दोहराया, कि मनमर्जी से सर्वे के बजाए कलेक्टर को निर्देश दिए गए हैं, कि अब गांवों में मुनादी पिटवाकर कैंप लगाए जाएं और किसान का नाम उसका रकबा और फसल का विवरण भरकर व्यापक सर्वे कराया जाए. गांव के सरपंच और ग्रामीणों के हस्ताक्षर के साथ पंचनामा भी बनाया जाए और रिपोर्ट तीन प्रतियों में तैयार कर एक पंचायत भवन पर चस्पा हो ताकि ग्रामीण भी यह देख सकें, कि उनका नाम सूची में आने से छूटा तो नहीं है.