ग्वालियर।आज विश्व कैंसर दिवस है. कैंसर इस समय दुनिया की सबसे घातक और विनाशकारी बीमारी है. इसके मरीजों को लगातार इलाज ना मिले तो उनकी तकलीफें बढ़ जातीं है, उनकी जान पर ही बन आती है. कोरोना काल उनके लिए बाकी की तुलना में बहुत ही मुश्किलों भरा था. पूरे देश मे जब कर्फ्यू लगा था. ट्रेन, बस, बाजार से लेकर दफ्तर और अस्पताल तक बंद थे. इनमें सिर्फ और सिर्फ कोरोना मरीजों का ही इलाज हो रहा था. तब ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज की कैंसर यूनिट ने एक अनुकरणीय निर्णय लेते हुए अपने यहां कैंसर पेशेंट के इलाज की सेवा बहाल रखी. इस दौरान कीमो और कोबाल्ट थेरेपी जारी रख हजारों मरीजों की जान बचाई बल्कि मेडिकल कॉलेज को एक करोड़ रुपये कमाकर भी दिए.
जोखिम भरा फैसला: कोरोना की पहली और दूसरी लहर में चारों तरफ त्राहि त्राहि मची थी. असप्ताल सिर्फ कोरोना पेशेंट के लिए रिजर्व थे. स्कूल, कॉलेज से लेकर अन्य संस्थानों को भी कोविड सेंटर के रूप में तब्दील कर दिया गया था. यहां तक कि, टाटा मेमोरियल जैसे केंसर के सबसे बड़े अस्पताल में भी ताले पड़े थे. प्राइवेट कैंसर अस्पतालों में भी सबसे बड़ी दिक्कत उनको आ रही थी. जिनको कोबाल्ट या कीमों की नियमित जरूरत थी. इसके अभाव में उनकी जान जा सकती थी और तकलीफ भी बढ़ सकती थी, लेकिन इसके रास्ते बंद थे. ऐसे में ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज ने बड़ी मानवीय पहल कर अपने यहां कीमो और कोबाल्ट यूनिट करने जैसा जोखिम भरा फैसला लिया.