दहलीज के अंदर हो या घर के बाहर, बाजार हो या खुला मैदान, ऑफिस हो या खेत-खलिहान, हर पल महिलाओं को एक अनजाना सा खौफ सताता रहता है, यही डर महिलाओं के बढ़ते कदम पर ब्रेक लगा रहा है, अपराध के आंकड़े किसी को भी खौफजदा करने के लिए काफी हैं, ग्वालियर में तो लड़कियां और महिलाएं तक इस डर का खुलेआम जिक्र कर रही हैं.
ग्वालियर में महिलाओं को लगता है डर तो सुना आपने, किस कदर ये छात्राएं खौफजदा हैं कि कई इलाकों में तो जाने से भी कतराती हैं. बावजूद इसके पुलिस इन्हें मुक्ममल सुरक्षा मुहैया नहीं करा पा रही है. महिला एवं बाल विकास विभाग के सेफ्टी ऑडिट सर्वे में भी ये खुलासा हुआ है कि बसों में यात्रा करने के दौरान महिलाओं की सुरक्षा के लिए माहौल सेफ नहीं है.महिला एवं बाल विकास के सेफ्टी सर्वे की रिपोर्ट ने जहां महिलाओं को और ज्यादा खौफजदा कर दिया है, वहीं कानून व्यवस्था मुकम्मल करने में फिसड्डी होने पर सरकार की किरकिरी हो रही है. अब महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चिन्हित क्षेत्रों में सेफ्टी प्लान चलाने की तैयारी की जा रही है. महिला सुरक्षा के मामले में मध्यप्रदेश पहले से ही पूरे देश में अव्वल है, एनसीआरबी के 2015 से 2017 के आंकड़ों ने भी प्रदेश की खूब किरकिरी कराई है, प्रदेश में सत्ता बदल चुकी है, सियासत बदल चुकी है, पर महिला सुरक्षा की स्थिति जस की तस बनी हुई है. पीटीसी - अनिल गौर