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गर्मी में पानी के लिए तरस जाते हैं जिले के दो बड़े ड्राई जोन, अब वाटर हार्वेस्टिंग का सहारा

ग्वालियर जिले के दो बड़े ड्राई जोन में पानी की समस्या को दूर करने के प्रशासन लिए वाटर हार्वेस्टिंग का सहारा लेने जा रहा है. इस बार वर्षा जल के जरिये दोनों ड्राई जोन मुरार और घाटीगांव सहित जिले के वाटर लेवल को लेकर विशेष तैयारियां शुरू कर दी गयी है. जिससे जिले में कम बारिश और घटते जल स्तर के कारण न गेहूं की खेती हो पा रही है और न ही अन्य फसलें.

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Published : Jun 17, 2020, 1:50 PM IST

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ग्वालियर। क्षेत्र में 25 जून के आसपास मानसून की दस्तक देने की उम्मीद है, लेकिन हर साल मानसून आने के बाद भी जिले के दो बड़े ड्राई जोन एरिया पानी के लिए तरस जाते हैं. क्योंकि इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि जिला प्रशासन की तरफ से बारिश के पानी को सहेजने की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है. बीते साल के अनुसार जिले में दो ड्राई जोन है,जिनको बारिश का पानी सहेजने से सूखा दूर होने की उम्मीद है.

वाटर हार्वेस्टिंग का सहारा

हर साल मानसून के पहले बारिश का पानी सहेजने के लिए योजना तैयार होती है, लेकिन वह सिर्फ बैठकों तक सीमित रह जाती है. इस बार वर्षा जल के जरिये दोनों ड्राई जोन मुरार और घाटीगांव सहित जिले के वाटर लेवल को लेकर विशेष तैयारियां शुरू कर दी गयी है. जिससे जिले में कम बारिश और घटते जल स्तर के कारण न गेहूं की खेती हो पा रही है और न ही अन्य फसलें.

जिले में करीब 352 तालाब, तलैयों, बाबडियो,चेकडैम और पोखरों के लिए 256 ग्राम पंचायता पर वाटर हार्वेस्टिंग पर काम शुरू किया जाएगा. जिला प्रशासन के अफसरों का अनुमान है कि इन जल संरचनाओं में लगभग 355 करोड़ लीटर पानी स्टोर हो सकेगा. इससे करीब 750 हेक्टेयर खेती का रकबा भी बढ़ेगा और सूखे की समस्या भी दूर हो जाएगी.

वर्तमान में कहां कितने तालाब पोखर और चैक डेम

ग्वालियर शहरी क्षेत्र 66 भितरवार 126 डबरा 72 घाटीगांव 88 तालाब पोखर और चैक डेम मौजूद है. पिछले दो साल में 30 करोड़ रुपए खर्च कर नए तालाब, चैकडेम और पोखर बनाए गए हैं. जिन क्षेत्रों में ये काम किए गए हैं, वहां पर भूजल स्तर में 10 फीट की वृद्धि दर्ज की गई है. इसलिए इस बारिश के जल को सहेजने से बहुत उम्मीदें हैं. लिहाजा ग्वालियर के दो प्रमुख ड्राई जोन जिनमें घाटीगांव की चराई डांग, मोहना, बेहट, चराई श्यामपुर, घाटीगांव, बन्हेरी, सिमरिया टांका, करैया, निरावली, महाराजपुरा, जखोदा सहित 46 ग्राम पंचायतों में पेयजल और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी न होने की समस्या है. इन क्षेत्रों में ग्रामीण एक से दो किमी तक पैदल चलकर बोरवैल से पानी लाना पड़ता हैं. वही मुरार के बिल्हेटी, रनगंवा, गुंधारा, जखारा, बिलारा जैसी ग्राम पंचायतों में सूखे की समस्या है. पीने के साथ यहां खेती के लिए पानी की कमी है. इस कारण इस क्षेत्र के ग्रामीण बिना पानी वाली सरसों, बाजरा और चने की फसलें करते हैं. ऐसे में इन ग्राम पंचायतों को बारिश से अच्छे दिन आने की उम्मीद लगाई जा रही है.

प्रशासन का भी मानना है कि पिछले दो सालों में बड़ी संख्या में तालाब, पोखर और चैकडेम का निर्माण कराया गया है. पुराने तालाबों की गहराई और चौड़ाई बढ़ाकर उनकी क्षमता भी बढ़ाई है. ऐसे में मौसम वैज्ञानिकों ने इस बार अच्छी बारिश होने की जो उम्मीद जताई है. उसके साथ वर्षा जल को सहेजने से अगली साल तक के लिए पानी स्टोर करने की क्षमता में कई करोड़ लीटर का इजाफा हो सकता है. वही उम्मीद से ज्यादा बारिश बाढ़ जैसे हालात न बना दे इसको लेकर भी कार्य योजना तैयार कर ली गयी है.

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