ग्वालियर।कोरोना संक्रमण के दौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत होने के बाद अब मरीजों को दूसरे विकल्प के तौर पर प्लाज्मा दिए जाने की मांग बढ़ी है. उसके अनुरूप डोनर आगे नहीं आ रहे हैं. कोरोना संक्रमित मरीजों को वही लोग प्लाज्मा दे सकते हैं जो पूर्व में पॉजिटिव रहे हों और बाद में कोरोना को हरा चुके हों.
प्लाज्मा देने के लिए बनायी संस्था. शहर में ज्यादातर लैब बंद
शहर में आधा दर्जन बड़ी और निजी पैथोलॉजी लैब हैं लेकिन वह तमाम तरह की जांचों और कमियों के चलते प्रशासन के निर्देश पर बंद हैं. सिर्फ जयारोग्य अस्पताल समूह की ब्लड बैंक, रेड क्रॉस सोसाइटी की ब्लड बैंक और जिला अस्पताल के ब्लड बैंक चालू हैं. इसके अलावा एक निजी पैथोलॉजी लैब श्रीजी भी चालू है. जिस तरह से कोरोना संक्रमित मरीजों आंकड़ा बढ़ता जा रहा है और गंभीर मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. उससे ब्लड बैंक में मरीजों के परिजनों की भीड़ भी बढ़ रही है.
अस्पताल के चक्कर लगा रहे लोग
लोग अपने मरीज के लिए प्लाज्मा डोनर को तलाशते हुए कभी भी देखे जा सकते हैं क्योंकि प्लाज्मा की मांग बढ़ी है. लेकिन ठीक हो चुके लोग भी संक्रमण के खतरे को भांपते हुए अपना प्लाज्मा देने नहीं आ रहे हैं. जबकि अकेले जयारोग्य अस्पताल के पैथालॉजी में करीब 30 से 40 मरीजों को प्लाज्मा के लिए लोग अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं. कई लोगों के पास तो डोनर भी नहीं है. इस कारण कई मरीजों की स्थिति बदतर बनी हुई है.
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ऐसे में कुछ समाजसेवी लोगों ने अपना एक ग्रुप बनाया है. जिसमें सवा सौ लोग जुड़े हैं. यह लोग जरूरतमंद को प्लाज्मा देने का काम करते हैं. उनके पास पूरी सूची है लेकिन वह इसी शर्त पर प्लाज्मा देते हैं कि मरीज ठीक होने के बाद अपना प्लाज्मा किसी और को डोनेट करेगा. इसके लिए निजी संस्था के लोग बांड भी भरवा रहे हैं.