मुरैना। वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासियों को पथरीली जमीन दी जा रही है. लेकिन आदिवासियों ने पथरीली जमीन को लेने से इनकार कर दिया है. इस मामले में कांग्रेस ने आदिवासियों का समर्थन करते हुए कहा कि राज्य सरकार पथरीली जमीन देकर आदिवासियों के साथ धोखाधड़ी कर रही है. लेकिन बीजेपी इन आरोपों से इंकार कर रही है. पीएचई मंत्री ऐदल सिंह कंसाना ने कहा कि आदिवासियों को उनके मनमाफिक जमीन दी जा रही है. यदि उसमें कोई परेशानी आ रही है तो उन्हें दूर किया जाएगा.
मुरैना जिले के पहाड़गढ़, रामपुर कलां के बेरखेड़ा, सायपुरा, कैमारे कलां, बोलाज गांव सहित अन्य आदिवासी इलाकों में वन अधिकार अधिनियम के तहत हर आदिवासियों को वन विभाग द्वारा दो-दो बीघा शासकीय भूमि पट्टे पर दी जा रही है. ताकि आदिवासी जमीन पर खेती बाड़ी कर अपना जीवन यापन कर सकें. इसलिए वन विभाग आदिवासियों को जमीन पट्टे पर दे रहा है. लेकिन जो सभी आदिवासियों को मुहैया कराई जा रही है. वो खेती करने लायक नहीं है. इसलिए आदिवासी जमीन लेने से इनकार कर रहे हैं.
बेरखेड़ा के रहने वाले प्रहलाद आदिवासी ने बताया कि उनका समुदाय सालों से जल, जंगल, जमीन के लिए लड़ाई लड़ रहा है. वन अधिकारी कानून के तहत राज्य सरकार आदिवासियों को जमीन मुहैया करा रही है. लेकिन वह पथरीली जमीन है, उपजाऊ नहीं है. इसलिए आदिवासी समुदाय जमीन लेने से इनकार कर रहे हैं. इस मामले में मुरैना कलेक्टर प्रियंका दास के मुताबिक चार पांच गावों में पीडीए सर्वे होना है. वो प्रशासन द्वारा कराया जाएगा और जो जमीन वन विभाग के भी काम की नहीं है. वो आदिवासियों को भी उपलब्ध नहीं कराई जाएगी. कलेक्टेर के मुताबिक अगर जमीन पथरीली है तो उसे आदिवासियों को मुहैया नहीं कराई जाएगी. इसके लिए सर्वे कराकर उचित जमीन आदिवासियों को दी जाएगी.