ग्वालियर। कोरोना महामारी के दौरान अस्थाई तौर पर नियुक्त किए गए पैरामेडिकल स्टॉफ को अचानक हटा देने से उनमें आक्रोश व्याप्त है. पैरामेडिकल स्टाफ ने कहा है कि शासन के एक आदेश से प्रदेश के 6000 से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मियों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है. उन्होंने मरीजों की उस समय सेवा की है जब उनके परिजन भी कोविड-19 के जोखिम भरे माहौल में अपने स्वजन के पास आने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे.
पैरामेडिकल स्टॉफ में आक्रोश, बजट नहीं तो क्यो निकाली भर्तियां - एमपी पैरामेडिकल स्टॉफ
पैरामेडिकल स्टाफ ने कहा है कि शासन के एक आदेश से प्रदेश के 6000 से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मियों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है.
कुछ महीने काम करा कर उन्हें फ्रंटलाइन से गायब कर दिया गया है.उन्होंने उस समय मरीजों की सेवा की जब कई विशेषज्ञ डॉक्टर और नियमित स्टाफ छुट्टी लेकर घरों में बैठे हुए थे, लेकिन जैसे ही महामारी का असर कम हुआ पैरामेडिकल स्टाफ को अनुपयोगी मानते हुए शासन ने बजट का हवाला देकर उन्हें नौकरी से बाहर कर दिया. यह पैरामेडिकल स्टाफ अपनी समस्या को लेकर प्रदेश सरकार के मंत्री और अफसरों के यहां गुहार लगा चुके हैं लेकिन किसी ने भी उनकी सुनवाई नहीं की है. शासन हमेशा बजट की बात कह रहा है, जबकि इन लोगों का कहना है कि नए स्टाफ को भर्ती किया जा रहा है तो उन्हें हटाकर शासन ने कौन सा राजस्व बचा लिया है.
पैरामेडिकल स्टॉफ की प्रदेश उपाध्यक्ष ने मंगलवार को मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा कि वर्तमान में एनएचएम द्वारा जो भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की गई है, उसमें आयुष चिकित्सक व फार्मासिस्ट की विज्ञप्ति जारी नहीं की गई है. जबकि इन दोनों पदों पर एनएचएम द्वारा स्वीकृत रिक्त पदों पर संविदा में नियुक्त किया जा सकता है. एनएचएम द्वारा नर्सिंग स्टाफ लैब टेक्नीशियन एएनएम की संविदा भर्ती की जा रही है. उन भर्ती में कोविड-19 के स्थाई स्वास्थ्य कर्मियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इन कर्मचारियों का कहना है कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो वे आंदोलन को मजबूर होंगे.