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हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मीसा बंदियों के भौतिक सत्यापन का कदम सही माना - physical verification of MISA prisoners

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मीसा बंदियों के भौतिक सत्यापन कराने के कदम को सही मना हैं. साथ ही ये भी कहा कि अगर किसी ने सम्मान निधि को लेकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया तो सरकार उससे ये राशि वसूल सकती हैं.

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ

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Published : Nov 8, 2019, 10:25 PM IST

Updated : Nov 8, 2019, 11:28 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने प्रदेश सरकार के मीसा बंदियों के भौतिक सत्यापन कराने संबंधी कदम को सही ठहराया है. हाई कोर्ट ने ये भी कहा है कि अगर अपात्र लोगों ने शासन की ओर से दी जाने वाली सम्मान निधि का आहरण किया है तो उनसे सरकार ये राशि वसूल सकती है.

दरअसल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मीसा बंदियों को सम्मान निधि के रूप में 25 हजार रुपए मासिक दी जाने वाली पेंशन पर लोक लगा दी गई थी. सरकार को ये अंदेशा था कि कई अपात्र लोग इस सुविधा का लाभ उठा रहे हैं. सरकार ने जनवरी 2018 में इस सम्मान निधि को देने से पहले भौतिक सत्यापन करने के निर्देश सभी जिला कलेक्टरों को दिए थे.

मीसा बंदियों के भौतिक सत्यापन का कदम सही

सम्मान निधि पर संग्राम

वर्तमान में मौजूद मीसाबंदी और दिवंगत मीसा बंदियों के आश्रितों को सत्यापित करने के निर्देश भी सभी संभागीय आयुक्त और डीएम को दिए गए थे. इस आदेश के खिलाफ कुछ मीसा बंदियों ने रिट याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी. पिछले दिनों रिट याचिका में15 मीसा बंदियों को जनवरी से लेकर अब तक सम्मान निधि जारी करने के अंतरिम आदेश दिए गए थे. इस अंतरिम आदेश के बाद अंतिम आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार यदि मीसा बंदियों का भौतिक सत्यापन कराना चाहती है, तो वो करा सकती है और किसी अपात्र ने इस सम्मान निधि को लेकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया है तो सरकार उसे यह राशि वसूल भी सकती है.

Last Updated : Nov 8, 2019, 11:28 PM IST

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