ग्वालियर। जिला न्यायालय से सहारा अस्पताल को शनिवार को मिले स्थगन आदेश के खारिज होते ही एक बार फिर प्रशासन की टीम शाम को बसंत विहार स्थित सहारा अस्पताल पहुंच गई और तोड़फोड़ शुरू कर दी. अस्पताल में तैनात कर्मचारियों ने प्रशासन की कार्रवाई का विरोध किया. लेकिन प्रशासन ने कार्रवाई नहीं रोकी.
स्टे हटते ही प्रशासन ने तोड़ा निजी अस्पताल, प्रबंधन ने कार्रवाई को बताया गलत
प्रशासन की टीम शाम को बसंत विहार स्थित सहारा अस्पताल में तोड़फोड़ शुरू कर दी. जिला न्यायालय से सहारा अस्पताल को शनिवार को मिला स्थगन आदेश खारिज हो गया है.
यह अस्पताल बीजेपी सरकार में अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य रहे डॉक्टर ए एस भल्ला का है. पिछले दिनों प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ बयानबाजी के बाद अस्पताल पर कार्रवाई तेज हो गई है. जिला कोर्ट में हॉस्पिटल को 9 दिसंबर तक मरीजों को शिफ्ट करने के लिए स्टे दिया था, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की ओर से इस पूरी कार्रवाई को गलत ठहराया जा रहा था. साथ ही कहा जा रहा था कि किसी व्यक्ति विशेष की वजह से प्रशासन इस कार्रवाई को अंजाम दे रहा है. डॉक्टरों और प्रशासन को लेकर जो मतभेद पैदा हुए थे. उसके चलते यह कार्रवाई की जा रही है.
2 सप्ताह पहले गैर सरकारी और सरकारी डॉक्टरों ने ग्वालियर के मेडिकल कॉलेज में प्रशासन के खिलाफ एक मीटिंग बुलाई थी, जिसको डॉक्टर भल्ला ने लीड किया था और उसमें पांच अहम प्रस्ताव प्रशासन के खिलाफ पारित हुए थे. इसमें डॉक्टरों ने कहा था कि वो प्रशासनिक अधिकारियों के साथ कोई सरकारी मंच शेयर नहीं करेंगे साथ ही उन्हें सर कहकर भी नहीं बुलाएंगे. ग्वालियर जिला प्रशासन ने लगभग 18 से ज्यादा प्राइवेट नर्सिंग होम को अलग-अलग मामलों में नोटिस जारी किए थे साथ ही कहा था कि वह कमियां पूरी करें, नहीं तो उनके अस्पताल को सील कर दिया जाएगा.