ग्वालियर।आज शिक्षक दिवस पर ऐसे शिक्षक के बारे में बताएंगे, जो गरीब और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले बच्चों के जीवन में शिक्षा की अलख जगा कर उनके जीवन को रोशन कर रहा है. रिटायर्ड शिक्षक ने गरीब बस्तियों में रहने वाले बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए वह कमाल कर दिया है, जिसकी तारीफ हर कोई करता है. इस रिटायर्ड शिक्षक ने एक बच्चे को पढ़ाने की शुरुआत की थी, आज यह बच्चों का कारवां 500 से अधिक पहुंच चुका है. अब शिक्षकों की यह टोली दो दर्जन से अधिक स्थानों पर इन असाह और गरीब बच्चों को पढ़ाने का काम कर रही है.
असहाय और गरीब बच्चों के लिए फरिश्ता:ग्वालियर में 65 साल के बुजुर्ग रिटायर्ड शिक्षक ओपी दीक्षित में असहाय और गरीब बच्चों के लिए कोई फरिश्ते से कम नहीं है, क्योंकि ऐसे बच्चों को पेट भरने के लिए रोटी का इंतजाम हर कोई कर देता है, लेकिन जीवन को सवारने की जिम्मेदारी हर कोई नहीं उठा पता है और यह जिम्मेदारी बखूबी रिटायर्ड शिक्षक ओपी दीक्षित निभा रहे हैं. ओपी दीक्षित बताते है कि "मैं साल 2019 में एक दिन मॉर्निंग वॉक पर जा रहा था, उसी समय मैंने रेल की पटरी के पास कुछ आदिवासी जाति के बच्चों को खेलते हुए देखा. जब मैंने उनके घर वालों से पूछा कि बच्चों को स्कूल क्यों नहीं भेजते हो तो बच्चों के घर से जवाब आया कि साहब हम मजदूरी करते हैं और बच्चों को पढ़ाने के लिए हमारे पास पैसे नहीं हैं. बस उसी दिन से मैंने ठान लिया था कि अब गरीब और मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करूंगा."
बच्चों में जागा पढ़ाई का कीड़ा:साल 2019 में ओपी दीक्षित ने चार बच्चों को रेलवे स्टेशन के बाहर पढ़ना शुरू किया, ओपी दीक्षित ने बताया है कि "रेल की पटरियों के बगल से रहने वाले परिवारों के बच्चों को मैंने पढ़ना शुरू किया. जब शाम के वक्त मैं वहां पहुंचता था तो जमीन पर बोरी बिछाकर बच्चों के साथ बैठता और उन्हें पढ़ाता था. शुरुआत में सिर्फ एक या दो ही बच्चे पढ़ने के लिए आते थे, लेकिन उसके बाद शिक्षा की ऐसी अलख जगी कि वहां पर रहने वाले दो दर्जन से अधिक परिवारों के बच्चे पढ़ने के लिए मेरे पास आने लगे. इन गरीब बच्चों को पढ़ाई की ऐसी लत लगी, कि वे रोज समय पर क्लास अटेंड करने के लिए पहुंच जाते थे. कुछ समय बाद धीरे-धीरे संख्या काफी बढ़ने लगी."