ग्वालियर। शहर के सबसे पुराने भैरवनाथ मंदिर में भैरव अष्टमी के मौके पर विशेष पूजा अर्चना की गई. इस दौरान सुबह भगवान भैरवनाथ का अभिषेक किया गया, उसके बाद दिन-भर भजन कीर्तन चलते रहे और भगवान भैरवनाथ को नमकीन मंगोड़े और इमरती के प्रसाद के साथ मदिरा का भी भोग लगाया गया.
भैरव अष्टमी के मौके पर भैरवनाथ मंदिर में विशेष पूजा, नमकीन के साथ मदिरा का लगा भोग - भैरव अष्टमी
ग्वालियर शहर के सबसे पुराने भैरवनाथ मंदिर में भैरव अष्टमी के मौके पर विशेष पूजा अर्चना की गई. इस दौरान भगवान भैरवनाथ को नमकीन मंगोड़े और इमरती के प्रसाद के साथ मदिरा का भी भोग लगाया गया.
माधव गंज स्थित भैरवनाथ मंदिर का यह मंदिर करीब 200 साल पुराना है.भगवान शिव के अवतार भैरवनाथ का सनातन धर्म में विशेष धार्मिक महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भंडासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए माता पार्वती ने काली का रूप रखा था. मां के इस रौद्र रूप को शांत करने के लिए भगवान शिव ने बालक का रूद्र अवतार लिया था और अपनी वात्सल्य वाणी से मां काली को शांत किया था.
इस शिव अवतार की बटुक भैरव के नाम से भी लोग भक्ति करते हैं. भक्तों का मानना है कि भगवान भैरवनाथ की पूजा करने से वे तुरंत ही भक्तों के कष्टों को हर लेते हैं.