मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

चंबल में बदल गया सियासी परिदृश्य, दोनों दलों के दिग्गज हारे, कांग्रेस के दो अजेय दुर्ग ढहे तो भाजपा को यहां से मिली बड़ी हार - हेमंत कटारे से हारे अरविंद भदौरिया

MP Chunav Result 2023: मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों का परिणाम सामने आ चुका है. इस बार भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को जनता ने धूल चटाई है. इस खबर में पढ़िए किन सीनियर नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा.

MP Chunav Result 2023
एमपी में दिग्गज हारे

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 4, 2023, 1:26 PM IST

Updated : Dec 4, 2023, 2:05 PM IST

ग्वालियर। 2018 में ग्वालियर चम्बल 34 में से 26 सीटें जीतकर अप्रत्याशित रूप से पंद्रह साल बाद सत्ता में वापिसी करने वाली कांग्रेस को तो इस बार तगड़ा झटका लगा ही है, लेकिन कांग्रेस और भाजपा दोनो ही दलों के कई दिग्गजों को भी धूल चाटने से अंचल के पूरा सियासी परिदृश्य ही बदल गया है. एक तरफ जहां कांग्रेस के कद्दावर लीडर और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह 33 साल बाद चुनाव हार गए. वहीं, शिवराज सरकार के छह में से पांच मंत्री चुनाव हार गए. जिनमें सदैव सुर्खियों में रहने वाले गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा भी शामिल हैं. हालांकि केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिमनी से जीत दर्ज कर अपनी साख बरकरार रखी.

हेमंत कटारे से हारे अरविंद भदौरिया: 2018 में कांग्रेस ने भिंड जिले में छह सीट जीत ली थीं. भाजपा सिर्फ एक सीट अटेर जीत सकी थी. इकलौते भाजपा विधायक अरविंद सिंह भदौरिया शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में सहकारिता मंत्री हैं. उन्हें भाजपा का संकटमोचक भी कहा जाता था लेकिन इस बार वे अटेर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के हेमंत कटारे से 24364 मतों के अंतर से हार गए. इसी तरह लहार विधानसभा क्षेत्र से 1990 से लगातार जीतने वाले कद्दावर नेता और प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को भी हार का मुंह देखना पड़ा. वे भाजपा के सामान्य से प्रत्याशी अम्बरीष शर्मा गुड्डू से लगभग 12 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से हार गए. भाजपा के कद्दावर नेता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य भी पिछड़ते नजर आए. अंततः वे भी चुनाव में कांग्रेस के मामूली प्रत्याशी केशव देसाई से हार गए.

डॉ. गोविंद सिंह का किला ढहा:समाजवादी पृष्ठभूमि से कांग्रेस की सियासत में आये डॉ. गोविंद सिंह को कांग्रेस का अपराजेय नेता माना जाता था. 1990 में वे पहला चुनाव जीते तो फिर कभी नहीं हारे थे. दिग्विजय सिंह की सरकार में वे गृहमंत्री रहे तो कमलनाथ सरकार में सहकारिता मंत्री. इस बार वे उन्ही अम्बरीष शर्मा से चुनाव हार गए जिन्हें वे दो बार हरा चुके थे. इस बार भाजपा ने अम्बरीष शर्मा गुड्डू को टिकट दिया. भाजपा में बगावत भी हुई. उनके कद्दावर नेता रसाल सिंह बसपा से लड़े, लेकिन गुड्डू ने 12 हजार 397 मतों से जीत हासिल कर डॉ. सिंह की अपराजेय यात्रा पर विराम लगा दिया.

नरोत्तम मिश्रा की हार ने चौंकाया: भाजपा को तगड़ा झटका दतिया में लगा है. भाजपा के प्रदेश के सबसे बड़े कद्दावर नेता और चर्चित गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा को मुख्यमंत्री पद का भी दावेदार माना जाता था. वे लगातार पहले डबरा और फिर दतिया से चुनाव जीतते चले आ रहे थे. इस बार भी भाजपा ने उन्हें दतिया से प्रत्याशी बनाया था. लेकिन वे कांग्रेस के राजेन्द्र भारती से 7,742 मतों के अंतर से चुनाव हार गए.

Also Read:

रामनिवास रावत ने बाबूलाल मेवरा को हराया: कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के बहुत करीबी माने जाने वाले कांग्रेस के कद्दावर नेता राम निवास रावत पांच साल बाद एक बार फिर विधानसभा में दिखेंगे. 2018 के चुनाव में वे हार गए थे. इसके बाद जब सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस से बगावत हुई लेकिन रावत ने कांग्रेस नहीं छोड़ी. इस बार भी वे श्योपुर जिले की अपनी परंपरागत सीट विजयपुर से मैदान में उतरे और शानदार जीत हासिल की. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल मेवरा को 18059 मतों के भारी अंतर से हराया और अब वे फिर विधानसभा में दिखाई नही देंगे.

Last Updated : Dec 4, 2023, 2:05 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details