ग्वालियर। एमपी में मिहिर भोज प्रतिमा को लेकर गुर्जर और क्षत्रिय समाज के बीच विवाद चल रहा है. इस मुद्दे को लेकर कई बार एमपी में बड़े विवाद खड़े हुए हैं. वहीं मिहिर भोज प्रतिमा विवाद को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिस पर हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने बुधवार को संभागीय आयुक्त को निर्देशित कर कहा है कि सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा को लेकर चल रहे विवाद में दोनों पक्षों को बुलाकर बातचीत का रास्ता निकलें. उन्हें सम्राट मिहिर भोज को जाति सूचक शब्द से अलग रखने की समझाइश दें, क्योंकि महापुरुषों को किसी जाति तक सीमित करना उचित नहीं है.
सभी जातियों के होते हैं महापुरुष: महापुरुष सभी जातियों के होते हैं. अब इस मामले पर सुनवाई फरवरी के तीसरे सप्ताह में नियत की गई है. गौरतलब है कि सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा चिरवाई नाके पर स्थापित की गई थी. प्रतिमा के नीचे पहले गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की पट्टिका लगी थी. इस पर क्षत्रिय समाज को आपत्ति थी. क्षत्रिय समाज का कहना है कि सम्राट मिहिर भोज क्षत्रिय थे. जबकि गुर्जर यह मानने के लिए तैयार नहीं हैं. उनका कहना है देश के कई हिस्सों में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा लगी है. जिस पर गुर्जर शब्द पूर्व से अंकित है. ऐसे में ग्वालियर के चिरवाई नाके पर लगाई गई प्रतिमा के नीचे गुर्जर सम्राट मिहिर भोज का लिखा जाना कोई नई बात नहीं है.