ग्वालियर/मुरैना। ग्वालियर-चंबल अंचल को लोग बीहड़ और बागी के नाम से जानते हैं. अब चंबल की पहचान ऐसी मिठाई से होने लगी है, जो सर्दी में हर कोई खाना पसंद करता है. इस मिठाई के स्वाद की वजह से इसकी पहचान देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी है. यही वजह है कि मकर संक्रांति के मौके पर चंबल से यह मिठाई सात समुंदर पार तक पहुंचती है. वह मिठाई है चंबल में बनने वाली शाही (famous gajak of morena) गजक. आइए जानते हैं कि चंबल की गजक में क्या है खास और यह मिठाई कैसे बनायी जाती है.
मुरैना में बनाई जाती है यह गजक
चंबल में गजक बनाने का इतिहास लगभग 80 से 90 साल पुराना है. चंबल के मुरैना जिले में यह शाही गजब बनाई जाती है. यह सबसे ज्यादा प्रसिद्ध गजक है. मुरैना जिले से देश के अलग-अलग राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी गजक पार्सल की जाती है.
देशभर में पहली पसंद है मुरैना की गजक
यहां की गजक को लोग काफी पसंद करते हैं. सर्दियां शुरू होते ही यहां गजक बनना शुरू हो जाती है. जब तक सर्दियां रहती हैं, तब तक यहां गजक का कारोबार चलता है. मुरैना में लगभग 200 से अधिक गजक कारीगर हैं, जो यहां पर गजक बनाने का काम करते हैं.
गजक के स्वाद के दीवाने हैं लोग
यूं तो अब गजक मुरैना जिले के अलावा ग्वालियर चंबल संभाग के सभी जिलों (gajak demand on makar sankranti in mp) में बनाई जाने लगी है. इसके साथ ही यहां से कारीगर अलग-अलग राज्यों में पहुंचकर गजक बनाने का काम कर रहे हैं, लेकिन गजक का स्वाद जो मुरैना का है, वह किसी और में नहीं. यह स्वाद यहां के पानी की ताशीर का नतीजा माना जाता है.
देशभर में रहती है हलवाइयों की डिमांड
बताया जाता है कि चंबल नदी के पानी में कुछ खास तत्व पाए जाते हैं, जिसके चलते यहां बनने वाली गजक स्वाद में बेहद टेस्टी लगती है. सेहत के लिए भी यह फायदेमंद रहती है. यही वजह है कि गजक बनाने वाली मुरैना के हलवाइयों की देशभर में डिमांड रहती है.
इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिए खास गजक
गजक का महत्व केवल स्वाद की वजह से ही नहीं है, बल्कि गजक में इस्तेमाल होने वाली तिल और गुड़ सर्दियों में शरीर के लिए औषधि का काम करता है. कोरोना जैसी महामारी के समय में जहां लोग अपने शरीर की इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिए कई तरह की दवाइयां और महंगी खाद्य पदार्थ खा रहे हैं. वहीं गजक भी उनके लिये लाभकारी है. सबसे खास बात यह है कि इसे बनाने में शुद्ध गुड़ और तिल का उपयोग किया जाता है.