ग्वालियर।कोरोना संक्रमण के मामले में ग्वालियर प्रदेश में तीसरे स्थान पर आ चुका है. यहां संक्रमित मरीजों की संख्या दस हजार को पार कर चुकी है. ऐसे में इसके इलाज खासकर गंभीर रोगियों के लिए काम आने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन मार्केट से गायब है और जहां मिल भी रहा है वह प्रिंट रेट से ज्यादा पर लोगों खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
कोरोना महामारी के बीच सांसों का सौदा, 'रेमडेसिविर' दवा की हो रही ब्लैक मार्केटिंग !
ग्वालियर में कोरोना की महामारी के बीच मुनाफाखोर लोगों की ज़िंदगियों का सौदा करने से बाज नहीं आ रहे हैं, कोरोना के इलाज के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली दवा रेमडेसिविर की कालाबाजारी बढ़ गई है, और बाजारों में अब ये दवा आसानी से नहीं मिल रही है, और मिल भी रही है, तो मुनाफाखोर ऊंचे दामों पर बेंच रहे हैं,
ग्वालियर में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से सामने आ रहे है. कोरोना संक्रमण को नियंत्रण करने के लिए इस दवाई की भी डिमांड काफी बढ़ रही है. गंभीर रूप से बीमार कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में रामबाण माने जाने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन इन दिनों बेहद डिमांडिंग है. लेकिन बाजार से यह इंजेक्शन गायब हो चुका है. चार कंपनियां जिनमें तीन कंपनियां मुंबई से संचालित है वह इस इंजेक्शन का निर्माण करती हैं.
यह इंजेक्शन सबसे पहले प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर में आता है. वहां से पूरे प्रदेश में बांटा जाता है. लेकिन ग्वालियर में पिछले एक सप्ताह से इंजेक्शन की शॉर्टेज चल रही है. स्वास्थ्य विभाग ने माना है कि कुछ दिनों से रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी की बातें सामने आई है और इसके लिए ड्रग इंस्पेक्टर को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं. इंजेक्शन की कालाबाजारी किसी भी रूप में ना हो इसके लिए भी दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. दुकानदारों का कहना है कि फिलहाल डिमांड ज्यादा होने से कभी कबार इंजेक्शन की शॉर्टेज आ जाती है लेकिन यह अस्थाई है.