ग्वालियर। कोरोना की तीसरी लहर (Corona Third Wave) को लेकर तरह-तरह की आशंका जताई जा रही है. अब इसे लेकर एक शोध (Research) ग्वालियर में शुरू किया गया है. शोध में यह पता लगाया जाएगा कि तीसरी लहर बच्चों के लिए कितनी घातक होगी और वायरस बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर क्या प्रभाव डालेगी. ग्वालियर के जीआरएमसी (GMRC) कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग के डॉक्टरों ने संक्रमित मां से जन्में बच्चों पर शोध शुरू करने की तैयारी कर ली है.
संक्रमित हुई मां और बच्चों पर होगा शोध
इस शोध (Research) के जरिए पहली और दूसरी लहर में संक्रमित हुई करीब 800 से अधिक मां से जन्मे बच्चों पर शोध किया जाएगा. इसमें दो बातों का पता लगाया जाएगा. पहला यह कि संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में मां से बच्चों में संक्रमण पहुंचा या नहीं. दूसरा जिन बच्चों में संक्रमण पहुंचा उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर कितना प्रभाव पड़ा है. शोध का मुख्य कारण यह है कि आने वाली तीसरी लहर के दौरान गर्भवती मां के पेट में पल रहे शिशु पर वायरस का प्रभाव होने से रोका जा सके.
5 डॉक्टर्स की टीम करेगी रिसर्च
जीएमआरसी (GMRC) मध्य प्रदेश में यह पहला मेडिकल कॉलेज (Medical College) होगा, जिसके डॉक्टर वायरस पर शोध (Research) करने की तैयारी कर चुके हैं. जीआरएमसी कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजय गौड़ ने 5 डॉक्टरों की टीम तैयार की है. एथिकल कमेटी से स्वीकृति मिलने मिलने के बाद शोध की प्रक्रिया शुरू होने वाली है. इसके साथ ही माताओं और बच्चों की लिस्ट भी तैयार की गई है, जो कोरोना की पहली और दूसरी लहर में गर्भवती थी और उन्होंने शिशु को जन्म दिया. इस लिस्ट में सिर्फ ग्वालियर जिले की शिशुओं को शोध के लिए बुलाया जा रहा है. करीब 200 बच्चों पर यह शोध किया जा रहा है.
शोध के जरिए क्या-क्या पता लगाया जाएगा?
पहली और दूसरी लहर में मां से बच्चों में संक्रमण पहुंचा है या नहीं?
जिन बच्चों में संक्रमण पहुंचा है उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर कितना प्रभाव पड़ा?
सामान्य मां से जन्मे बच्चों की तरह शिशुओं के दिल, गुर्दे और फेफड़े काम कर रहे हैं या नहीं?
गर्भवती महिला जब संक्रमण का शिकार बनी, तो उसे अन्य महिलाओं की अपेक्षा क्या परेशानियां बढ़ी?
गर्भ में पल रहे शिशु में खून का संचार ठीक से हुआ या नहीं?