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अब जीवाजी विश्वविद्यालय में नहीं होगी कागज की बर्बादी, रद्दी पेपर से स्टेशनरी बनाना सीखेंगे छात्र - मिलेंगे रोजगार के अवसर

जीवाजी विश्वविद्यालय में हर साल तकरीबन 25 टन रद्दी निकलती है. यह रद्दी उत्तर पुस्तिकाओं और प्रैक्टिकल की पुस्तिकाओं के रूप में निकलती है. इस रद्दी को रीसाइकिल कर विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के छात्र स्टेशनरी बनाने की कला सीखेंगे.

जीवाजी विश्वविद्यालय में नहीं होगी कागज की बर्बादी

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Published : Aug 17, 2019, 11:57 PM IST

ग्वालियर। शहर के जीवाजी विश्वविद्यालय में इस सत्र से बड़ी मात्रा में निकलने वाली रद्दी की नीलामी नहीं होगी. इस रद्दी को रीसाइकिल कर विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के छात्र स्टेशनरी बनाने की कला सीखेंगे. जिससे छात्रों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.

जीवाजी विश्वविद्यालय में नहीं होगी कागज की बर्बादी
जीवाजी विश्वविद्यालय में हर साल तकरीबन 25 टन रद्दी निकलती है. यह रद्दी उत्तर पुस्तिकाओं और प्रैक्टिकल की पुस्तिकाओं के रूप में निकलती है. इसके साथ ही दूसरी अनुपयोगी स्टेशनरी भी रद्दी के रूप में बिकती है. जबकि विश्वविद्यालय को हर साल अपने लिए परीक्षा पेपर से लेकर दूसरी स्टेशनरी लाखों रुपए देकर बाजार से खरीदनी पड़ती है.


इन सबसे बचने के लिए विश्वविद्यालय ने तय किया है कि स्किल डेवलपमेंट सेल और उद्यमिता विकास केंद्र के सौजन्य से छात्रों को पेपर की रीसाइक्लिंग सिखाई जाए और उन्हें लिफाफे तथा दूसरी चीजें रद्दी से बनवाई जाए. जिससे छात्रों को रोजगार भी मिलेगा और वह स्किल डेवलपमेंट से प्रोत्साहित भी होंगे.

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