ग्वालियर। शहर के आमखो इलाके में रहने वाले मानवेंद्र तोमर की उम्र पांच साल पहले तेरह साल थी. उसे आंख में दर्द की समस्या हुई थी. इस पर उसके परिजनों ने शहर के जाने-माने आई सर्जन डॉ.राकेश गुप्ता को दिखाया था. डॉ. राकेश गुप्ता ने बच्चे को स्टेरॉइड आई ड्रॉप मिलफ्लोडेक्स 5 जनवरी 2017 को प्रिस्क्रिप्शन में लिखी थी. यह आई ड्रॉप मानवेंद्र के परिजनों ने उसकी आंख में लगातार 2 महीने तक डाली थी, जिससे उसकी आंख में ग्लूकोमा हो गया. दूसरे डॉक्टर को दिखाया गया तो बताया गया कि मानवेंद्र की आंख में सेकेंडरी ग्लूकोमा हो गया है, जोकि स्टेरॉयड दवा दिए जाने से होता है. नियमानुसार मिलफ्लोडेक्स आई ड्रॉप के लगातार इस्तेमाल से किशोर की आंख की 70 से 80 फ़ीसदी रोशनी चली गई.
बालक की एक आंख की रोशनी 70 परसेंट चली गई :इसके बाद बालक का अरविंद हॉस्पिटल मदुरई और एम्स हॉस्पिटल दिल्ली में इलाज कराया गया. इसे लेकर मानवेंद्र के परिजनों ने जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया था. बताया गया कि डॉक्टर ने बच्चे के इलाज में लापरवाही बरती है, जिसके कारण उसकी एक आंख की रोशनी 70 फ़ीसदी तक जा चुकी है. इसलिए क्षतिपूर्ति दिलाने के आदेश जारी किए जाएं. खास बात यह भी है कि मिलफ्लोडेक्स नामक आई ड्रॉप जिसे सन फार्मा कंपनी बनाती है, वह 18 साल से कम उम्र के रोगियों को प्रिसक्राइब नहीं की जा सकती है लेकिन जिस समय मानवेंद्र का इलाज शुरू हुआ था उस समय उसकी आयु सिर्फ 13 साल थी.