ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जीवाजी विश्वविद्यालय लगातार किसी न किसी मुद्दे पर सुर्खियों में रहता है. जीवाजी विश्वविद्यालय पर नकल और विसंगतियों को लेकर लगातार आरोप लगते रहे हैं, लेकिन अब एक नया मामला सामने आ गया है. जीवाजी विश्वविद्यालय में परीक्षा की बीच कॉपियों का संकट खड़ा हो गया है. मतलब विश्वविद्यालय के स्टॉक में उत्तर पुस्तिका कम हो गई हैं, जिसके कारण चल रही ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की परीक्षाएं बीच में ही लटक सकती हैं. अपनी कमी को छुपाने के लिए जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधक ने तत्काल कॉपी खरीदने के लिए टेंडर जारी कर दिया है. इसके साथ ही उत्तर पुस्तिका की रिकॉर्ड की जानकारी न देने वाले अधिकारी को नोटिस जारी कर दिया है. (Jiwaji University gwalior)
जीवाजी विश्वविद्यालय में एग्जाम कॉपी की किल्लत 500 से अधिक कॉलेजों में एग्जामः मध्य प्रदेश के जीवाजी विश्वविद्यालय की अंतर्गत 500 से अधिक कॉलेजों में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की परीक्षाएं चलेंगी. परीक्षाओं के बीच में ही जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रबंधन को जानकारी लगी कि उनके पास कॉपियों का स्टॉक नहीं है. इस सूचना के बाद विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया. उसके बाद आनन-फानन में विश्वविद्यालय प्रबंधन कॉपी खरीदने के लिए टेंडर जारी कर दिया. जीवाजी विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार सुशील मंडेरिया का कहना है कि कोरोना के चलते टेंडर प्रक्रिया नहीं हो पाई है. इसका असर परीक्षा पर नहीं आने दिया जाए. मामले में लापरवाही जिसकी भी रही है, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. (lack of exam copy in Jiwaji University gwalior)
दिसंबर में नहीं खरीदी गई कॉपीः जीवाजी विश्वविद्यालय में यूजी परीक्षा मार्च-अप्रैल से शुरू हो जाती हैं. इस दौरान कुछ पीजी कोर्स की परीक्षा भी होती है. इससे पहले कॉपी खरीदी पेपर तैयार करवाने की प्रक्रिया कर ली जाती है, लेकिन इस बार दिसंबर और जनवरी में कॉपी खरीदी नहीं हो सकी. स्टॉक से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी ने ध्यान नहीं दिया. सूत्रों की माने तो अभी स्टोर में ढाई लाख कॉपियां हैं, लेकिन परीक्षा में विद्यार्थी इससे दुगनी संख्या में बैठने वाले हैं. ऐसे में सवाल यहीं उठ रहा है कि जीवाजी विश्वविद्यालय इतनी जल्दी कॉपियों की पूर्ति कैसे करेगा. (Jiwaji University gwalior copy tender)
जीवाजी विश्वविद्यालय का अनसूलझा फर्जी मार्कशीट कांड! 3 जांचों के बाद भी नतीजा सिफर, आखिर किसने बनाए 209 फेक मार्कशीट्स?
सामान्य तौर पर जीवाजी विश्वविद्यालय में दिसंबर की महीने में कॉपी की खरीदी शुरू कर दी जाती है, जिससे अप्रैल और मई के महीने में होने वाली परीक्षा में कोई परेशानी न आये. इस बार उत्तर पुस्तिका के रिकॉर्ड की जानकारी देने वाले की लापरवाही से विवि में परेशानी का माहौल बन गया है. ऐसे में आनन फानन में जीवाजी विश्वविद्यालय ने उत्तर पुस्तिका की खरीदी के लिए टेंडर जारी कर दिये हैं. चार करोड़ रुपये की कॉपियां खरीदी जानी हैं. इसके टेंडर में एक महीने लगेगा. इसी बीच अगर कॉपियां खत्म हो गईं, तो परीक्षा पर संकट आ सकता है. विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार सुशील मंडेरिया का कहना है कि परीक्षा की कॉपी की सूचना देने की संबंध में देरी की गई है. संबंधित अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.