ग्वालियर। एक बार फिर ग्वालियर- चंबल अंचल की राजनीति में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की एंट्री हो गई है. ग्वालियर हिंदू महासभा के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि, नाथूराम गोडसे के 'बलिदान दिवस' यानी 15 नवंबर को महासभा के कार्यालय में मूर्ति स्थापित करेंगे. आज हिंदू महासभा के पदाधिकारियों ने जिला प्रशासन को मूर्ति वापस देने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा है.
उपचुनाव में गोडसे की एंट्री
हिंदू महासभा के कार्यकर्ता और पदाधिकारी मंगलवार को एसडीएम कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने जबरदस्त प्रदर्शन किया और 'नाथूराम गोडसे जिंदाबाद' के नारे लगाए. हिंदू महासभा ने चेतावनी दी है कि और कहा है कि, 'यदि 15 नवंबर को गोडसे की मूर्ति स्थापित नहीं करने दी गई, तो अंचल में नया विवाद खड़ा हो सकता है'.
हिंदू महासभा ने 15 नवंबर 2017 को जिला प्रशासन द्वारा जब्त की गई नाथूराम गोडसे की प्रतिमा वापस करने की मांग की है. हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अरविंद भारद्वाज ने जिला प्रशासन से मांग की है कि, नाथूराम गोडसे की प्रतिमा को वापस किया जाए, अन्यथा गोडसे की दूसरी प्रतिमा उनके 'बलिदान दिवस' 15 नवंबर को स्थापित करने पर मजबूर होना पड़ेगा.
2017 में खड़ा हुआ था बवाल
गौरतलब है कि, 15 नवंबर 2017 को ग्वालियर में हिंदू महासभा ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाया था, जिसमें नाथूराम गोडसे की मूर्ति स्थापित की गई थी, इसके बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया था. उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि, 'बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे की मूर्ति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा' और ये मामला इतना तूल पकड़ गया कि तत्कालीन शिवराज सरकार और जिला प्रशासन ने भारी विरोध के चलते उस मूर्ति को वहां से हटाकर जब्त कर लिया था. इसके बाद से ही नाथूराम गोडसे की मूर्ति जिला प्रशासन के पास है.