ग्वालियर। भले ही क्रिकेट हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं है, पर देश में क्रिकेट के न तो दीवानों की कमी है और न ही खिलाड़ियों की. पूरी दुनिया में भारतीय क्रिकेटरों का कोई जवाब नहीं है. इस खेल में दिव्यांग भी पीछे नहीं है, उनके गगनचुंबी शॉट्स और व्हील चेयर दौड़ देख लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं. मध्यप्रदेश की व्हील-चेयर क्रिकेट टीम इसका ताजा उदाहण है, इस टीम ने सभी राज्यों को पछाड़ते हुए बादशाहत कायम की है.
नेशनल चैंपियन के तौर पर उभरी टीम
व्हील-चेयर क्रिकेट टीम दिसंबर में लगातार तीन नेशनल टूर्नामेंट में जीत हासिल कर निर्विवाद चैंपियन के तौर पर उभरी है. टीम ने पहले 2-3 दिसंबर को खेले गए नेशनल मुकाबलों में उत्तर प्रदेश को हराकर चैंपियनशिप जीती. इसके बाद 6-7 दिसंबर को जीएलए यूनिवर्सिटी मथुरा में त्रिकोणीय श्रंखला में उपविजेता बनी. फिर 10-11 दिसंबर को दिल्ली में आयोजित मध्यप्रदेश, दिल्ली, राजस्थान सहित ओडिशा की टीमों को हराया. फाइनल मुकाबले में ये टीम दिल्ली को हराकर नेशनल चैंपियन बनी है.
क्रिकेट की पिच पर व्हील-चेयर के सहारे दौड़ते दिव्यांगों ने हौसले की नई परिभाषा गढ़ी है, जो किस्मत का रोना रोते हुए निराश नहीं बैठे, बल्कि व्हील-चेयर को अपनी ताकत बनाकर क्रिकेट में अपनी अलग पहचान बनाई. ये गौरव की बात है कि मध्यप्रदेश की वियजी टीम के कप्तान सहित अधिकांश खिलाड़ी ग्वालियर के ही हैं.
व्हील चेयर क्रिकेट टीम ने जीता नेशनल चैंपियनशिप का खिताब कप्तान कबीर सिंह ने की अपील
टीम के कप्तान कबीर सिंह भदौरिया बताते हैं कि दिसंबर में खेले गए टूर्नामेंट के हर मैच में टीम विजेता की तरह खेली. खेल के हर पक्ष ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. ये जीत उन दिव्यांगों को समर्पित है, जो जीवन से निराश नहीं हैं, बल्कि अपने हौसलों की बदौलत कुछ कर गुजरने का जज्बा रखते हैं. कबीर की अपील है कि दिव्यांग खुद को कमजोर न समझें. इसे ताकत बनाकर शीर्ष स्थान प्राप्त करें.
कबीर सिंह ने बताया कि दिल्ली के साथ हुए संघर्षपूर्ण फाइनल मुकाबले में मैन ऑफ द सीरीज बने राजा बाबू के 47 रनों ने टीम को उत्साह से भर दिया, जबकि उप कप्तान दीपक शर्मा और जंडेल सिंह धाक चाहते हैं कि प्रदेश सरकार इस तरह के स्पोर्ट्स को बढ़ावा दे और दिव्यांगों को सही मंच उपलब्ध कराए, ताकि प्रदेश का ही नहीं देश का भी गौरव बढ़ाएं.