ग्वालियर। मध्य प्रदेश के शहर ग्वालियर में इन दिनों कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. इस हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में जहां लोग रजाइयों से बाहर नहीं आ रहे हैं. वहीं एक तबका ऐसा भी है, जो खुले आसमान में रहने को मजबूर है. हालांकि प्रशासन इन लोगों को पूरी सुविधा देने की बातें तो करता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है, तो आईए जानते हैं आखिर कौन है यह लोग और क्यों खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं...
एमपी में हाड़ कंपा रही ठंड
गौरतलब है कि इन दोनों ग्वालियर में सर्दी का सितम बेतहासा जारी है. वहीं तापमान की बात की जाए तो अधिकतम तापमान 15 डिग्री और न्यूनतम तापमान 5 डिग्री से भी नीचे आ चुका है. इस सर्दी से लोग बुरी तरह से कांप रहे हैं. घर से निकलने में भी लोगों को ठंड का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए लोग बाहर के बजाय घरों में ही रहना अधिक पसंद कर रहे हैं, लेकिन शहर में रोजी-रोटी और कई अन्य कार्यों की तलाश में आने वाले लोग जो महंगे होटल का खर्च नहीं उठा सकते, सड़क किनारे सोने को मजबूर हैं. इस कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान के नीचे सोने वाले लोगों से जब व्यवस्था के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि वह क्या होती है? हमारे पास कोई व्यवस्था नहीं है.
रैन बसेरे में नहीं मिलती जगह
सर्दी में खुले आसमान के नीचे सोने वाले मजबूर लोगों की हाय कहीं प्रशासन और सरकार को ना लग जाए? क्योंकि जब इनसे बात की जाती है तो सरकार और प्रशासन को कोसने के सिवाय उनके पास और शब्द नहीं होते हैं. वही जब इन लोगों से रैन बसेरे में न जाने का कारण पूछा तो लोगों का कहना था कि सबसे पहली बात तो यह है कि हमें वहां रखा ही नहीं जाता है. हमारे कपड़े और हमारी वेशभूषा देखकर ही हमें वहां से लौटा दिया जाता है. जैसे तैसे अगर कोई मान भी जाता है तो वह हमसे हमारे दिन भर की दिहाड़ी से आधा हिस्सा तो किराए के रूप में ही मांग लेता है. इसलिए हम वहां नहीं जाना चाहते, जहां सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. बहू बेटियों पर भी वहां खतरा रहता है. कई बार सामान की चोरियां भी हो चुकी है. इसलिए ऐसी जगह जाने से तो अच्छा है, हम खुले आसमान के नीचे ही रात बिता लेते हैं.
अधिकारी बोले रैन बसेरे में सारी व्यवस्था
इस मामले को लेकर जब निगम कमिश्नर हर्ष सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि मुख्यमंत्री के निर्देश हैं कि इस कड़ाके की सर्दी में रैन बसेरों में व्यवस्थाएं दुरुस्त होनी चाहिए. हम 7 रैन बसेरा संचालित करते हैं. जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए वह सभी है. जैसे गर्म पानी की व्यवस्था, अलाव की व्यवस्था, गर्म कपड़ों की व्यवस्था सारी व्यवस्था दुरुस्त है. जिनकी मॉनिटरिंग रोज की जा रही है. इसके अलावा अगर हमें कहीं से सूचना मिलती है, तो हम उसे सूचना पर कार्रवाई कर कर तत्काल लोगों को रैन बसेरे तक पहुंचाते हैं.
वहीं बेसहारा लोगों के खुले में रात में बिताने की बात पर निगम कमिश्नर ने कहा कि इसके लिए हम स्पेशल अभियान भी चला रहे हैं. लोग जहां परेशान है और खुले में रह रहे हैं. उन्हें टीम के माध्यम से रैन बसेरों में लाकर रुकवाया जा रहा है. इसमें हमें काफी सफलता भी मिल रही है. हालांकि कुछ लोग जो बहुत दिनों से कहीं रह रहे होते हैं वे लोग नहीं जाना चाहते हैं. फिर भी हम पुलिस के माध्यम से उन्हें पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. इस बार भी हर जगह अलाव जलाया जा रहा है. जिसकी फोटो मेरे पास रोज आती है.