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मदद करने का इनाम जेल, हार्ट पेशेंट के लिए जज की कार ले जाना पड़ा महंगा, सीएम मोहन यादव और शिवराज भी मदद के लिए आए आगे - CM MOHAN and Shivraj also came forward to help

some person help patient in reward sent to jail: मानवता के लिए किसी व्यक्ति की मदद करना अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों को भारी पड़ गया है. इन लोगों पर लूट की धारा लगाकर जेल भेज दिया गया. दरअसल इन छात्रों ने मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए एक कार का उपयोग किया था और वह कार हाईकोर्ट जज की थी.

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दोनों छात्रों को जेल भेजने पर ABVP का प्रदर्शन

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 16, 2023, 4:21 PM IST

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने शुरू किया आंदोलन

ग्वालियर। ट्रेन में एक वॉइस चांसलर को हार्ट अटैक आया तो कुछ छात्रों ने उनकी जिंदगी बचाने के लिए मानव धर्म निभाया. इन छात्रों को उनकी मदद करना इतना महंगा पड़ गया कि उन्हें अब जेल की हवा खानी पड़ रही है. पेशेंट को ग्वालियर स्टेशन से अस्पताल पहुंचाने के लिए उन्होंने जल्दबाजी में एक कार का उपयोग कर लिया.बाद में मालूम पड़ा कि वह कार हाईकोर्ट के जज की थी. यह छात्र अखिल विद्यार्थी परिषद के हैं जिन पर लूट का मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने नाराज होकर पूरे प्रदेश में चरण बद्ध आंदोलन शुरू कर दिया है.

मदद करना क्या अपराध है: मानव धर्म , इंसानियत, मानवता और सेवा परमो धर्म यह कहता है की कोई संकट में हो तो उसकी मदद जरूर करना चाहिए. भारतीय संस्कृति में सेवा को परमो धर्म बताया गया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों ने किसी की जिंदगी बचाने के लिए सारे नियम और कायदे कानून दरकिनार कर दिए. एक व्यक्ति की जिंदगी बचाने के लिए छात्र कानून की सीमा पार कर गए और नतीजा यह हुआ कि उन पर डकैती का मामला दर्ज कर जेल भेज दिया गया.

क्या थी घटना: तीन दिन पहले दिल्ली में एबीवीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन से कुछ छात्र ट्रेन में बैठकर ग्वालियर आ रहे थे. इस दौरान एक यात्री की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है बाद में पता चला कि वह व्यक्ति एक विश्वविद्यालय का वाइस चांसलर था. छात्रों ने उसे बचाने के लिए ग्वालियर पहुंचने से पहले मुरैना से ही स्टेशन के अधिकारी और एंबुलेंस को सूचना दे दी लेकिन ग्वालियर पहुंचने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली.

स्टेशन पर उतरने के बाद भी छात्र लगभग 25 मिनट तक एंबुलेंस का इंतजार करते रहे. एंबुलेंस नहीं आई तो छात्र हिमांशु श्रोत्री और सुकृत शर्मा ने पोर्च में खड़ी एक कार में प्रोफेसर रणजीत सिंह को लिटाया और अस्पताल की ओर दौड़ पड़े. हालांकि इस दौरान एंबुलेंस पहुंच भी गई, लेकिन तब तक छात्र वाइस चांसलर को गाड़ी में लिटा चुके थे.

ड्राइवर ने दर्ज कराई रिपोर्ट: कार में मौजूद ड्राइवर ने पड़ाव थाने में शिकायत दर्ज कराई की छात्रों ने जबरदस्ती गाड़ी छीन ली और लूट कर ले गए. छात्रों को बाद में पता चला कि वह गाड़ी एक जज साहब की थी इसके बाद पुलिस ने लूट का मामला दर्ज कर छात्रों को गिरफ्तार कर लिया और कोर्ट ने जेल भेज दिया.

कोर्ट ने खारिज कर दी याचिका: इस घटना के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र न्याय के लिए पहले पड़ाव थाने पर हंगामा करते रहे और न्याय की गुहार लगाते रहे जब बात नहीं बनी तो एसपी ऑफिस पहुंच गए और गेट पर धरना दे दिया.वही छात्रों की जमानत के लिए सेशन कोर्ट में आवेदन दिया गया लेकिन कोर्ट ने यह कहकर जमानत याचिका खारिज कर दी कि मदद बलपूर्वक नहीं ले सकते. उधर जेल में छात्रों की तबीयत बिगड़ गई है उन्हें ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है. अब छात्रों को जेल से छुड़ाने के लिए हाईकोर्ट में जमानत आवेदन लगाया गया है.

माता-पिता ने भी लगाई गुहार: जेल में बंद दोनों छात्र के माता-पिता ने जज से हाथ जोड़कर कहा है कि यह दोनों बच्चे आपके बच्चे जैसी है उनसे कोई गलती हो गई है तो माफ कर दीजिए.

शिवराज सिंह ने लिया संंज्ञान: अब इस पूरे मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संज्ञान लिया है. उन्होंने जबलपुर हाई कोर्ट मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा है कि मानवीय आधार पर सहयोग और जान बचाने के अभिप्राय से यह अपराध हुआ है. यह अपराध है पर क्षमा योग्य है. वहीं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी इस पूरे मामले में कहा है कि पुलिस जल्दबाजी न करे,गंभीर धाराएं तुरंत लगाने से बचने की जरूरत है और हम छात्रों की पूरी मदद करेंगे.

ABVP ने शुरू किया आंदोलन:इधर दोनों छात्रों को जेल भेजने के विरोध में ABVP और उससे जुड़े छात्र-छात्राओं ने आंदोलन शुरू कर दिया है.ग्वालियर के साथ पूरे प्रदेश में चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया जा रहा है.

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