ग्वालियर। ट्रेन में एक वॉइस चांसलर को हार्ट अटैक आया तो कुछ छात्रों ने उनकी जिंदगी बचाने के लिए मानव धर्म निभाया. इन छात्रों को उनकी मदद करना इतना महंगा पड़ गया कि उन्हें अब जेल की हवा खानी पड़ रही है. पेशेंट को ग्वालियर स्टेशन से अस्पताल पहुंचाने के लिए उन्होंने जल्दबाजी में एक कार का उपयोग कर लिया.बाद में मालूम पड़ा कि वह कार हाईकोर्ट के जज की थी. यह छात्र अखिल विद्यार्थी परिषद के हैं जिन पर लूट का मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने नाराज होकर पूरे प्रदेश में चरण बद्ध आंदोलन शुरू कर दिया है.
मदद करना क्या अपराध है: मानव धर्म , इंसानियत, मानवता और सेवा परमो धर्म यह कहता है की कोई संकट में हो तो उसकी मदद जरूर करना चाहिए. भारतीय संस्कृति में सेवा को परमो धर्म बताया गया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों ने किसी की जिंदगी बचाने के लिए सारे नियम और कायदे कानून दरकिनार कर दिए. एक व्यक्ति की जिंदगी बचाने के लिए छात्र कानून की सीमा पार कर गए और नतीजा यह हुआ कि उन पर डकैती का मामला दर्ज कर जेल भेज दिया गया.
क्या थी घटना: तीन दिन पहले दिल्ली में एबीवीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन से कुछ छात्र ट्रेन में बैठकर ग्वालियर आ रहे थे. इस दौरान एक यात्री की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है बाद में पता चला कि वह व्यक्ति एक विश्वविद्यालय का वाइस चांसलर था. छात्रों ने उसे बचाने के लिए ग्वालियर पहुंचने से पहले मुरैना से ही स्टेशन के अधिकारी और एंबुलेंस को सूचना दे दी लेकिन ग्वालियर पहुंचने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली.
स्टेशन पर उतरने के बाद भी छात्र लगभग 25 मिनट तक एंबुलेंस का इंतजार करते रहे. एंबुलेंस नहीं आई तो छात्र हिमांशु श्रोत्री और सुकृत शर्मा ने पोर्च में खड़ी एक कार में प्रोफेसर रणजीत सिंह को लिटाया और अस्पताल की ओर दौड़ पड़े. हालांकि इस दौरान एंबुलेंस पहुंच भी गई, लेकिन तब तक छात्र वाइस चांसलर को गाड़ी में लिटा चुके थे.
ड्राइवर ने दर्ज कराई रिपोर्ट: कार में मौजूद ड्राइवर ने पड़ाव थाने में शिकायत दर्ज कराई की छात्रों ने जबरदस्ती गाड़ी छीन ली और लूट कर ले गए. छात्रों को बाद में पता चला कि वह गाड़ी एक जज साहब की थी इसके बाद पुलिस ने लूट का मामला दर्ज कर छात्रों को गिरफ्तार कर लिया और कोर्ट ने जेल भेज दिया.