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MP High Court लॉकअप में ग्रामीण की मौत की जांच CBI को सौंपी, पीड़ित पक्ष को 20 लाख मुआवजे का आदेश

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Published : Nov 29, 2022, 9:32 AM IST

ग्वालियर जिले के बेलगढा़ थाने में ग्रामीण सुरेश रावत की मौत के मामले में हाईकोर्ट (MP High Court) ने पुलिस की विवेचना से नाराज होकर इसकी जांच सीबीआई को (Investigation death in lockup to CBI) सौंप दी है. इस मामले में सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला चल रहा है. पुलिस इस मामले को आत्महत्या बताने पर तुली हुई थी. लेकिन ढाई साल तक चली लीपापोती वाली जांच से व्यथित होकर मृतक सुरेश रावत के बेटे अशोक रावत ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की और पुलिसकर्मियों पर अपने पिता की हत्या करने का आरोप लगाया.

Investigation death in lockup to CBI
MP High Court लॉकअप में ग्रामीण की मौत की जांच CBI को सौंपी

ग्वालियर।पुलिस जब संतोषजनक जवाब नहीं दे सकी तो कोर्ट ने न केवल इस मामले को सीबीआई के सुपुर्द कर दिया. विवेचना करने वाले एसडीओपी संजय चतुर्वेदी पर 50 हजार रुपए की (50 thousand fine on SDOP) कॉस्ट भी लगाई है. इसके अलावा घटना के समय थाने पर मौजूद पुलिसकर्मियों को मामले की जांच होने तक सस्पेंड रखने और उन्हें 700 किलोमीटर दूर तैनात करने के निर्देश दिए हैं. इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने पीड़ित पक्ष यानी अशोक रावत को 20 लाख रुपए क्षतिपूर्ति भी देने के आदेश सरकार को दिए हैं. सरकार इन सभी पुलिसकर्मियों से मुआवजे का पैसा वसूल कर पीड़ित पक्ष को देगी.

MP High Court लॉकअप में ग्रामीण की मौत की जांच CBI को सौंपी

लॉकअप में पीटकर हत्या का आरोप :दरअसल, 10 अगस्त 2019 को खेमू शाक्य और सुरेश रावत के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया था. दोनों पक्ष बेलगढा़ थाने पर पहुंच गए. यहां खेमू शाक्य की शिकायत पर सुरेश रावत के खिलाफ दलित उत्पीड़न और मारपीट का मुकदमा दर्ज कर लिया गया लेकिन सुरेश रावत की रिपोर्ट नहीं लिखी गई. उसे लॉकअप में बैठा दिया गया. परिजनों का आरोप है कि उसके साथ वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने बेरहमी से मारपीट की. बाद में संदिग्ध परिस्थितियों में सुरेश रावत का शव थाने के लॉकअप में लटकता हुआ मिला.

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पुलिस ने लगातार की मामले में लीपापोती :इस मामले में पुलिस का कहना है कि सुरेश ने आत्महत्या की है, जबकि परिजनों का आरोप है कि सुरेश रावत की पुलिसकर्मियों ने पीटकर हत्या की है. इस मामले की जांच कई अधिकारियों के सामने से गुजरी लेकिन पुलिस ने ना तो सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग कोर्ट में पेश की और न आत्महत्या से जुड़े के बारे में तथ्य पेश किए. इससे कोर्ट को लगा कि पुलिस मामले में लीपापोती कर रही है और स्थानीय अधिकारियों के चलते मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं हो सकेगी. इसलिए अब मामले को सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया है. इस बारे में अधिवक्ता निर्मल शर्मा ने जानकारी दी.

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