ग्वालियर। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी द्वारा निकाली जा रही जन आशीर्वाद यात्रा ग्वालियर में अपनी यात्रा से ज्यादा गुटबाजी के कारण चर्चा में आ गयी है. ग्वालियर पहुंची यात्रा में अंचल के तीनों बड़े नेता नदारद दिखे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तीनों ने ही दूरी बना ली. इनकी नामौजूदगी के चलते यह यात्रा बिना दूल्हे के बारात की तरह बन गयी और यही वजह रही कि इसमें न कार्यकर्ताओं ने कोई दिलचस्पी ली और न ही आम जनता के बीच उत्साह दिखा.
चंबल-अंचल में बढ़ती जा रही गुटबाजी:मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ दो महीने का समय बचा है. इसलिए कांग्रेस हो या बीजेपी या फिर आम आदमी पार्टी, तीनों ने अपनी शक्ति झोंकना शुरू कर दिया है. वैसे मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है. इसलिए ही दोनों ही अपनी ताकत झोंक रहे हैं. ग्वालियर चंबल-अंचल में कांग्रेस बड़ी प्लानिंग के साथ आगे बढ़ रही है, तो वहीं बीजेपी अपनी गुटबाजी से काफी परेशान है. यही कारण है कि ग्वालियर अंचल में गुटबाजी को दूर करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दौरे कर चुके हैं, लेकिन हालत यह है कि यहां पर गुटबाजी कम होने का बजाय बढ़ती जा रही है और इसकी तस्वीर समय-समय पर देखने को मिल रही है. अंचल में कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए ही चुनाव प्रबंधन की कमान नरेंद्र तोमर को सौंपी गई, लेकिन जन आशीर्वाद यात्रा के ग्वालियर पहुंचते एकता और बिखती नजर आई.
घर की यात्रा में घरवाले ही रहे गायब: जन आशीर्वाद यात्रा ने मंगलवार को दतिया जिले से ग्वालियर जिले में प्रवेश किया और डबरा पहुंची. अब तक अंचल में घूमी जन आशीर्वाद यात्रा में अधिकांश जगह पर सीएम शिवराज सिंह, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया एक साथ नजर आए थे, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही जब यह यात्रा ग्वालियर जिले में पहुंची, तो इसमें न तो मुख्यमंत्री आए और न ही तोमर और सिंधिया की मौजूदगी रही. इसमें मुख्य अथिति के तौर पर बाहरी नेताओं के रूप में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के अलावा प्रदेश के ग्रह मंत्री नरोत्तम मिश्रा मौजूद रहे. सिंधिया और तोमर की गैर मौजूदगी का असर इस यात्रा पर साफ तौर पर दिखाई दिया. इस यात्रा के दौरान ना तो कार्यकर्ताओं में उत्साह दिखाई दिया और ना ही सिंधिया समर्थक नेता शामिल हुए. ग्वालियर के हर कार्यक्रम में शिरकत करने वाले तोमर और सिंधिया जिस तरीके से जन आशीर्वाद यात्रा में अपने घर में ही गायब दिखे, इससे स्पष्ट होता है कि इन दोनों के बीच अभी भी गुटबाजी काफी जोरों पर है.