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MP Election 2023: ग्वालियर की दक्षिण विधानसभा सीट पर BJP में घमासान, दो पूर्व मंत्री आमने-सामने, देखें- किसके क्या समीकरण

मध्यप्रदेश बीजेपी में मची कलह कम होने का नाम नहीं ले रही है. ग्वालियर की दक्षिण विधानसभा सीट की टिकट को लेकर पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह व पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा आमने-सामने हैं. हालांकि पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने कांग्रेस में जाने की अटकलों पर विराम लगाया है. MP Election 2023

MP Election 2023
ग्वालियर की दक्षिण विधानसभा सीट पर BJP में घमासान

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 13, 2023, 12:50 PM IST

ग्वालियर की दक्षिण विधानसभा सीट पर BJP में घमासान

ग्वालियर।ग्वालियर चंबल अंचल में चुनाव से पहले बीजेपी के नेताओं में नाराजगी बढ़ती जा रही है. नेताओं की नाराजगी अब खुलकर सामने आ रही है. पूर्व मंत्री और अटल विहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा टिकट मिलने से पहले ही ऐलान करते रहे हैं कि वह चुनाव लड़ेंगे. इसी बीच यह चर्चा भी आ रही है कि पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह को पार्टी टिकट नहीं दे रही है. यही कारण है कि अब इन खबरों से परेशान कुशवाह भोपाल से लौटकर गुरुवार देर रात ग्वालियर आ गए.

कुशवाह के कांग्रेस में जाने की अटकलें :कुशवाह ने हालांकि कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाओं को गलत बताया है. बता दें कि पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से कद्दावर नेता माने जाते हैं और उनका अच्छा खासा समाज का निर्णायक वोट बैंक है. उन्होंने 2003 और 2013 में चुनाव जीता और शिवराज सरकार में मंत्री भी रहे, लेकिन 2018 में वे कांग्रेस के प्रवीण पाठक से महज 121 के मामूली अंतर से चुनाव हार गए. कुशवाह की पिछड़ों में अच्छी पकड़ को देखते हुए पार्टी ने उन्हें भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष का पद दिया है.

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अनूप मिश्रा के साथ ही समीक्षा भी दावेदार :ग्वालियर के दक्षिण विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा की दावेदारी के साथ ही पूर्व मंत्री अनूप में भी दावेदारी ठोक रहे हैं. अनूप मिश्रा इसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. पूर्व मंत्री अनूप 1998 में एक बार यहां से जीत भी चुके हैं. पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा और अनूप मिश्रा के बाद तीसरा मोर्चा यहां पर मिश्रा के बाद पूर्व मेयर समीक्षा गुप्ता खोले हुए हैं. समीक्षा ने 2018 में टिकट न मिलने पर पार्टी से बगावत कर दी थी और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर गईं थीं. वह जीत तो न सकीं लेकिन उन्होंने भाजपा के वोटों में जमकर सेंध लगाई, जिसके चलते भाजपा अपने इस परंपरागत गढ़ में चुनाव हार गई.

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