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दल से बड़ी दोस्ती ! सिंधिया के गढ़ में महाराज पर अटैक से बच रहे पायलट - MP by election

एमपी उपचुनाव में जिगरी दोस्त और राजनीति के दिग्गज नेता सिंधिया और सचिन पायलट अब आमने सामने हैं. दोनों नेता चुनावी सभाएं कर रहे हैं, लेकिन एक-दूसरे पर सीधे तौर पर हमला करने से बच रहे हैं.

Friendship heavy on politics
सियासत पर दोस्ती भारी

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Published : Oct 28, 2020, 9:17 PM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश उपचुनाव के चुनावी अभियान में कांग्रेस की तरफ से राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की एंट्री के बाद ग्वालियर चंबल अंचल की राजनीति में हलचल मच गई है. क्योंकि उनका सीधा मुकाबला ज्योतिरादित्य सिंधिया से हैं. हालांकि दोनों ही नेता चुनावी सभाओं में एक-दूसरे पर सीधा हमला करने से बच रहे हैं. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब सचिन पायलट से पूछा गया कि सिंधिया गद्दार हैं, आखिर उनकी वजह से कांग्रेस की सरकार गिरी, तो पायलट ने कहा कि हर व्यक्ति स्वतंत्र है पार्टी का चयन करने के लिए और ये जनता तय करेगी कि कौन सही है और कौन गलत. इस समय भी सचिन, सिंधिया पर सीधे तौर पर हमला करने से बचते नजर आए. वहीं उन्होंने सिंधिया से हुई भेंट को भी सामान्य मुलाकात बताया.

सचिन पायलट

सचिन ने 'महाराज' को छोड़ शिवराज पर किया हमला

शिवपुरी जिले की पोहरी और करैरा विधानसभा के नरवर और सतनवाड़ा में सचिन पायलट और आचार्य प्रमोद कृष्णनन कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे. यहां सचिन पायलट सिंधिया पर व्यक्तिगत हमला करने से बचते नजर आए. हालांकि उन्होंने शिवराज सरकार को घेरा.

देव श्रीमाली

कहीं दोस्ती तो नहीं निभा रहे सचिन-सिंधिया

सिंधिया पर सचिन पायलट की चुप्पी पर कयास लगाए जा रहे हैं कि सचिन पायलट उपचुनाव में प्रचार के दौरान सिंधिया पर हमला इसलिए नहीं कर रहे हैं, क्योंकि दोनों के बीच गहरी दोस्ती है. लिहाजा दोनों ही दिग्गज एक-दूसरे पर व्यक्तिगत हमला न करते हुए राजनीतिक दलों पर हमला कर रहे हैं.

जगजाहिर है सिंधिया सचिन का याराना

राजनीतिक विशलेषकों का मानना है कि सचिन पायलट, सिंधिया के खिलाफ नहीं बोल रहे हैं. इसके पीछे ज्यादा तो कुछ नहीं लेकिन राजनीति से ऊपर दोस्ती ही है. सिंधिया और सचिन पायलट की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है. दोनों लंबे समय से एक ही पार्टी के सदस्य रहे हैं. दोनों को विरासत में एक मजबूत राजनीति का आधार मिला. कांग्रेस में राहुल गांधी के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट युवा चेहरों के तौर पर पहचाने जाते थे. सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद सचिन के भी कांग्रेस छोड़ने के कयास लग रहे थे. फिलहाल सबकुछ ठीक लग रहा है, लेकिन सचिन और सिंधिया की दोस्ती पार्टी से अलग होने के बाद भी बनी हुई है.

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कांग्रेस का प्लान 'फेल'

कांग्रेस ने सचिन पायलट को ग्वालियर-चंबल इलाके में प्रचार के लिए खास रणनीति के तहत भेजा है. इसके कई सियासी पहलु हैं. एक तो क्षेत्र में गुर्जर मतदाओं की संख्या, दूसरा ये क्षेत्र सिंधिया का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है और कांग्रेस लगातार सिंधिया पर हमले बोले जा रही है, इसलिए पार्टी के नेता इस बात की उम्मीद कर रहे थे कि पायलट भी सिंधिया पर हमला करेंगे, लेकिन मंगलवार को तीन सभाओं में पायलट ने अपने पुराने दोस्त सिंधिया का जिक्र तक नहीं किया. इससे माना जा रहा है कि सचिन कांग्रेस की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे.

सचिन के जरिए कांग्रेस का सिंधिया को संदेश

कांग्रेस सिंधिया को दिखाना चाहती है कि निष्ठा का फल मिलता है और सचिन पायलट को केवल राजस्थान के चेहरे के रूप में नहीं देखा जा रहा है, बल्कि वह उनके राष्ट्रीय नेता भी होंगे. सचिन केवल मध्य प्रदेश उपचुनाव का ही नहीं बिहार चुनाव में कांग्रेस की टीम का हिस्सा हैं.

सिंधिया ने सचिन को कहा- ऑल द बेस्ट

सिंधिया और सचिन पायलट दोनों के बीच ये मुलाकात ग्वालियर एयरपोर्ट पर हुई. बताया जा रहा है कि इस दौरान सिंधिया ने अपने दोस्त सचिन पायलट को 'ऑल द बेस्ट' कहा और दोनों अपने-अपने गतंव्य की तरफ निकल गए. सिंधिया भोपाल के लिए रवाना हो रहे थे, इसी दौरान पायलट ग्वालियर पहुंचे.

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