ग्वालियर। मध्यप्रदेश उपचुनाव के चुनावी अभियान में कांग्रेस की तरफ से राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की एंट्री के बाद ग्वालियर चंबल अंचल की राजनीति में हलचल मच गई है. क्योंकि उनका सीधा मुकाबला ज्योतिरादित्य सिंधिया से हैं. हालांकि दोनों ही नेता चुनावी सभाओं में एक-दूसरे पर सीधा हमला करने से बच रहे हैं. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब सचिन पायलट से पूछा गया कि सिंधिया गद्दार हैं, आखिर उनकी वजह से कांग्रेस की सरकार गिरी, तो पायलट ने कहा कि हर व्यक्ति स्वतंत्र है पार्टी का चयन करने के लिए और ये जनता तय करेगी कि कौन सही है और कौन गलत. इस समय भी सचिन, सिंधिया पर सीधे तौर पर हमला करने से बचते नजर आए. वहीं उन्होंने सिंधिया से हुई भेंट को भी सामान्य मुलाकात बताया.
सचिन ने 'महाराज' को छोड़ शिवराज पर किया हमला
शिवपुरी जिले की पोहरी और करैरा विधानसभा के नरवर और सतनवाड़ा में सचिन पायलट और आचार्य प्रमोद कृष्णनन कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे. यहां सचिन पायलट सिंधिया पर व्यक्तिगत हमला करने से बचते नजर आए. हालांकि उन्होंने शिवराज सरकार को घेरा.
कहीं दोस्ती तो नहीं निभा रहे सचिन-सिंधिया
सिंधिया पर सचिन पायलट की चुप्पी पर कयास लगाए जा रहे हैं कि सचिन पायलट उपचुनाव में प्रचार के दौरान सिंधिया पर हमला इसलिए नहीं कर रहे हैं, क्योंकि दोनों के बीच गहरी दोस्ती है. लिहाजा दोनों ही दिग्गज एक-दूसरे पर व्यक्तिगत हमला न करते हुए राजनीतिक दलों पर हमला कर रहे हैं.
जगजाहिर है सिंधिया सचिन का याराना
राजनीतिक विशलेषकों का मानना है कि सचिन पायलट, सिंधिया के खिलाफ नहीं बोल रहे हैं. इसके पीछे ज्यादा तो कुछ नहीं लेकिन राजनीति से ऊपर दोस्ती ही है. सिंधिया और सचिन पायलट की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है. दोनों लंबे समय से एक ही पार्टी के सदस्य रहे हैं. दोनों को विरासत में एक मजबूत राजनीति का आधार मिला. कांग्रेस में राहुल गांधी के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट युवा चेहरों के तौर पर पहचाने जाते थे. सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद सचिन के भी कांग्रेस छोड़ने के कयास लग रहे थे. फिलहाल सबकुछ ठीक लग रहा है, लेकिन सचिन और सिंधिया की दोस्ती पार्टी से अलग होने के बाद भी बनी हुई है.