ग्वालियर। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए उनकी पार्टी के नए नवेले और सिंधिया समर्थक परेशानी का सबब बन रहे हैं, क्योंकि सिंधिया समर्थकों की बयानबाजी पार्टी की गाइड लाइन से अलग और पार्टी को ही कटघरे में खड़ा रही है. जिनमें प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसौदिया और मंत्री ओपीएस भदौरिया का नाम शामिल है. हालांकि बीजेपी सांसद कह रहे हैं कि पार्टी ऐसे मामलों पर नजर रखी हुई है, तो वहीं कांग्रेस कह रही है कि ये लोग कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा करते थे. अब बीजेपी के लिए भी वहीं काम कर रहे हैं.
परेशानी का सबब बन रहे सिंधिया समर्थक: भाजपा की अपनी कार्यशैली है. पार्टी की गाइडलाइन पर शीर्ष नेता से लेकर कार्यकर्ता तक बाध्य होते हैं. पार्टी नेता भी संगठन की नीतियों व सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए बोलते हैं, लेकिन इन दिनों ग्वालियर चंबल संभाग में बीजेपी के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं. विधानसभा चुनाव के नजदीक सड़कों को लेकर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की पादुकाएं उतारने को लेकर सरकार व संगठन दोनों नाराज हैं. शराबबंदी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती पहले से मुखर हैं. इस मुद्दे पर सरकार व संगठन दोनों खामोश हैं. अब ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने शराब बंदी पर बोलकर इस मुद्दे को फिर से हवा दे दी है. ऐसे में कांग्रेस पूरे मसले पर चुटकी ले रही है.
ऊर्जा मंत्री के इस संकल्प ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है. चुनाव के समय शीर्ष नेतृत्व को इसका जवाब देने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, तो वहीं इमरती देवी के बयान भी लगातार बीजेपी को मुश्किल में डाल रहे हैं. इन दोनों नेताओं के साथ-साथ मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ओर मंत्री ओपीएस भदौरिया का नाम भी शामिल है. जिसमें सिसौदिया ने सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े किए थे तो वहीं ओपीएस भदौरिया ने जाति विशेष को लेकर टिप्पणी की थी. हालांकि बीजेपी सांसद कह रहे है कि पार्टी ऐसे मामलों पर नजर रखी हुई है.