ग्वालियर।मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में राजनीति का केंद्र बिंदु माने जाने वाले ग्वालियर चंबल-अंचल में बीजेपी और कांग्रेस के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है. ग्वालियर चंबल-अंचल में कई विधानसभा सीट हैं. जहां से दिग्गज नेता खुद भले चुनाव न लड़ रहे हों, लेकिन उनकी साख दांव पर लगी हुई है. यही कारण है कि प्रचार-प्रसार के लिए राजनीतिक पार्टियों के दिग्गज नेताओं ने एमपी में डेरा डाले रहे और ताबड़तोड़ रैली और आम सभाएं की. हालांकि आने वाला परिणाम ही बताएगा कि इस चुनाव में कौन सिरमौर बनेगा और किसे मिलेगी हार.
दांव पर कई दिग्गजों की साख:ग्वालियर चंबल-अंचल में कई ऐसे बड़े दिग्गज नेता है. जो बीजेपी और कांग्रेस की कमान संभाले हुए हैं. बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की साख दांव पर है, तो वहीं कांग्रेस की तरफ से ग्वालियर चंबल-अंचल की कमान संभालने वाले पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की साख दांव पर लगी हुई है. वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पार्टी ने मैदान में उतारा है, लेकिन खुद के जीतने के अलावा जिले की सभी सीटों को जिताने की जिम्मेदारी भी पार्टी ने उन्हें को दी हुई है, क्योंकि ग्वालियर चंबल-अंचल में कई उनके समर्थक चुनावी मैदान में है.
सिंधियां ने की ताबड़तोड़ रैलिया: यही कारण है कि उन्होंने अपनी विधानसभा में प्रचार-प्रसार के अलावा अपनी संसदीय क्षेत्र की सीटों पर भी जमकर प्रचार-प्रसार किया. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चुनावी मैदान में उतारने के बाद पार्टी ने पहली बार केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भरोसा जताया है. सिंधिया को स्टार प्रचारक के रूप में ग्वालियर संभाग की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी है. यही कारण है कि सिंधिया ने भी चंलब-अंचल में ताबड़तोड़ रैलियां और सभाएं की. इसके अलावा ग्वालियर चंबल अंचल में दो दर्जन सिंधिया समर्थक चुनावी मैदान में है. इसलिए सिंधिया का साख भी दांव पर है. उनको जिताने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है.
किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं यह चुनाव: सिंधिया के लिए यह एक अग्नि परीक्षा के रूप में है, क्योंकि उन्हें साबित करना होगा, ग्वालियर चंबल अंचल में उनका कितना बड़ा वर्चस्व है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में जब सिंधिया कांग्रेस में थे, तो दावा किया जा रहा था कि सिंधिया की वजह से ही कांग्रेस 34 में से 26 जीती है. अब जब सिंधिया बीजेपी में आ गए हैं तो उनके लिए एक अग्नि परीक्षा है और साबित करने का भी मौका है कि इस चुनाव में सिंधिया कितनी सीटें जिता पाते हैं, क्योंकि बीजेपी ने सिंधिया को ग्वालियर चंबल संभाग के प्रचार प्रसार के लिए स्टार प्रचारक के रूप में पूरी छूट दे रखी थी. इसलिए सिंधिया को यह साबित करना होगा कि उनका वही रसूख बीजेपी में भी है, जो कांग्रेस में हुआ करता था. वही दिग्विजय सिंह को भी यह साबित करना होगा कि उनका पार्टी में वजूद सिंधिया के जाने से काम नहीं हुआ है और अंचल की वह भी लोकप्रिय नेता हैं.