ग्वालियर।अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है. श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश भर में हर्ष उल्लास का माहौल है. इसी समय हम आपको एक ऐसी 'रामायण लाइब्रेरी' के बारे में बताएंगे, जहां पर देश की अलग-अलग भाषाओं में 200 साल से अधिक पुरानी रामायण (रामचरितमानस ग्रंथ) रखी हुई है. इसके अलावा सबसे खास बात यह है कि यहां पर पाकिस्तान की लाहौर से प्रकाशित वाल्मीकि रामायण को भी संजोकर रखा गया है. इसके अलावा यहां पत्थरों पर रामायण अंकित है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. पहली बार देखिए 'रामायण लाइब्रेरी' की खास रिपोर्ट ग्वालियर संवाददाता अनिल गौर के साथ...
ग्वालियर में मौजूद रामायण लाइब्रेरी
ग्वालियर के फूल बाग चौराहे के पास मानस भवन में मौजूद लाइब्रेरी में भगवान राम से जुड़ा हुआ साहित्य मौजूद है. लाइब्रेरी के मैनेजर व्यास ने बताया कि वे लोग तकरीबन बीते 50 वर्षों से भगवान राम से जुड़े हुए साहित्य को एकत्रित करने में लगे हुए हैं. वर्तमान में इस लाइब्रेरी में सदियों पुरानी रामायण जिसमें सन 1888 की एक रामायण और सन 1901 की है. इसके अलावा देश की 10 से अधिक भाषा में भी रामायण का अनुवाद रूपी पुस्तक यहां मौजूद है. जिनमें पंजाबी, तेलुगू, बंगाली, अंग्रेजी सहित अन्य भाषा में किताबें यहां संजोकर रखी गई है. इतना ही नहीं भगवान राम से जुड़ा हुआ लगभग ज्यादातर तथ्यात्मक साहित्य यहां मौजूद है. जिसे पढ़ने के लिए रोजाना कई लोग इस भवन में आते हैं.
सालों पुरानी रामायणों का संग्रह
मानस प्रतिष्ठान के अध्यक्ष अभय पापरीकर ने बताया है कि ग्रंथालय में सन 1901 की रामायण को रखा गया है. उन्होंने बताया है कि इस रामायण लाइब्रेरी में 200 साल से अधिक पुरानी रामायण रखी गई है. वहीं 78 साल पुरानी लाहौर से प्रकाशित रामायण संरक्षित की गई है. लाइब्रेरी में हिंदी, अंग्रेजी, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम सहित कई भाषा में बहुत पुरानी रामायण है. कुछ रामायण ऐसी है, जो पूरी तरीके से जर्जर हो चुकी है. इनको संजोकर रखा गया है और इन रामायण ग्रंथ को किसी भी व्यक्ति द्वारा स्पर्श नहीं कराया जाता है.