ग्वालियर। कांग्रेस के शासनकाल में करीब 46 साल पहले 25 जून 1975 में इमरजेंसी लगाई गई थी, इसके विरोध में ग्वालियर में मीसा बंदियों में भाजपा मुख्यालय भवन में एक घंटे के लिए धरना प्रदर्शन किया. मीसा बंदियों ने कांग्रेस से इमरजेंसी को लेकर माफी मांगने के लिए यह दो दिवसीय विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया. लेकिन उसके झंडे और बैनर पर सिर्फ पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को बर्खास्त के नारे लिखे हुए थे. खास बात यह थी कि मीसा बंदियों का है. यह धरना प्रदर्शन किसी सार्वजनिक स्थान पर नहीं बल्कि बीजेपी मुख्यालय पर आयोजित किया गया था.
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मीसा बंदियों का आरोप है कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की हत्या हो रही है. वहां अनेकों महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ है. बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या की जा रही है. करीब 100 मीसा बंदियों की भी हत्या की गई है. इसलिए लोकतंत्र की हत्यारी ममता सरकार को बर्खास्त करने की मांग, राष्ट्रपति से है. मीसाबंदी काली पट्टी लगाकर बीजेपी मुख्यालय मुखर्जी भवन में बैठे थे. उनका यह भी कहना है कि कांग्रेस को 46 साल पहले किए गए कृत्य के लिए माफी मांगने चाहिए, जिससे हजारों नवयुवकों के साथ नसबंदी जैसा अपराध किया गया था.
समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लागू कर दी गई थी. लोगों को अकारण जेलों में ठूंस दिया गया था. मीसा बंदियों ने बाहों में काली पट्टी बांधकर अपना विरोध प्रदर्शन किया. पहले मीसाबंदी महाराज बाड़े पर धरना प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने इसकी कोविड-19 से अनुमति नहीं दी. इसके बाद अधिकांश बीजेपी समर्थक मीसाबंदी पार्टी कार्यालय में धरने पर बैठ गए. पहले यह धरना प्रदर्शन 2 घंटे के लिए था जिसे बाद में घटाकर 1 घंटे का कर दिया गया था.