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'भीड़ इकट्ठा करने से नहीं हटेगा कानून, कमियां बताएं किसान' - किसान यूनियन से चर्चा

रविवार को किसान आंदोलन का 87वां दिन है. इतने दिनों से हो रहे नए कृषि कानून के विरोध में हो रहे आंदोलन पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आंदोलन करने से कानून वापस नहीं हुआ करते. सरकार किसान यूनियन से चर्चा करने को तैयार है. यूनियन सरकार को नए कानूनों में कमियां बताए.

minister narendra singh tomar
मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

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Published : Feb 21, 2021, 7:52 PM IST

ग्वालियर।नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आदंलोन पिछले 86 दिन से जारी है. 12 दौरों की वार्ता के बाद भी किसान आंदोलन जारी है. किसानों की मांग है कि सरकार तीनों नए कृषि कानूनों को वापस ले, लेकिन सरकार कानूनों को वापस नहीं ले रही है. किसान आंदोलन को अब करीब तीन महीने होने वाले हैं. ऐसे में जब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से सवाल किया गया आखिर क्यों किसान आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, तो फिर उन्होंने अपने वही बयान दिए जो वो शुरूआती दौर से देते आ रहे हैं कि सरकार किसान यूनियन से चर्चा करने को तैयार है.

मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

'आंदोलन से वापिस नहीं होते कानून'

ग्वालियर में एक कार्यक्रम में शामिल होने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पहुंचे थे. इस दौरान जब मीडियाकर्मियों ने किसान आंदोलन को लेकर उनसे सवाल किए तो उन्होंने कहा कि सिर्फ आंदोलन करने से कानून वापस नहीं हुआ करते. अगर वास्तव में किसान यूनियन को किसानों की चिंता है तो सरकार को बताएं कि इन कानूनों में क्या कमियां है, सरकार संशोधन के लिए तैयार है.

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'ऐसा नहीं होता कि भीड़ इकट्ठा हो जाए और कानून हट जाए'

मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने किसान यूनियन के साथ बहुत संवेदनशीलता के साथ 12 दौर की बातचीत की है. बातचीत का निर्णय तब होता है, जब आप किसी कानून में कोई आपत्ति बताएं, कानून में किसान के विरुद्ध क्या है ये बताओ. डायरेक्ट कहोगे कि कानून हटा दो. तो ऐसा नहीं होता कि भीड़ इकट्ठा हो जाए और कानून हट जाए. ये तो बताइए कि ऐसा कौन सा प्वाइंट है जो सरकार के विरूद्ध जाता है.

'सरकार को बताएं बिंदु'

उन्होंने कहा सरकार समझने को तैयार है, सरकार संशोधन करने को तैयार है, सरकार चर्चा करने को तैयार है. आज भी तैयार है, प्रधानमंत्री ने भी कह दिया, तो किसान यूनियन आंदोलन करते रहे, उससे क्या होगा. कुल मिलाकर जब सरकार चर्चा करना चाहती है तो उन्हें बिंदु बताना चाहिए सरकार को. हम लोग उन बिंदुओं पर बात करने को तैयार हैं.

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अगर किसान यूनियन किसानों की हिमायती है तो उन्हें चाहिए कि किसानों को तकलीफ न आए. वे सरकार को बताए, सरकार उसपर चर्चा करने को तैयार है. जरूरत पड़ेगी तो संशोधन करने को भी तैयार है.

गिरिश गौतम-केदार शुक्ला पर भी बोले तोमर

एमपी विधानसभा अध्यक्ष के चयन को लेकर पार्टी में विवाद की स्थिति बनने पर उन्होंने कहा कि गिरीश गौतम पुराने नेता हैं. केदार शुक्ला भी पुराने नेता है इसलिए मनमुटाव जैसी कोई भी बात नहीं है. पार्टी ने सोच समझ के उनका चयन किया है और पार्टी एकजुट है.

विंध्य को गिफ्ट: गिरीश गौतम होंगे MP विधानसभा अध्यक्ष

गिरिश गौतम ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन कर दिया है. सीएम शिवराज और नरोत्तम मिश्रा की मौजूदगी में गिरीश गौतम ने नामांकन दाखिल किया. गिरीश गौतम रीवा के देवतालाब से बीजेपी विधायक हैं. इससे पहले एमपी विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए विंध्य से 3 नामों पर चर्चा चल रही थी. गिरीश गौतम, केदार शुक्ला, राजेंद्र शुक्ला दावेदारों की रेस में शामिल थे.

17 साल बाद विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष

17 साल बाद विंध्य को विधानसभा अध्यक्ष का पद गिरीश गौतम के रुप में मिलेगा. इसकी सबसे बड़ी वजह थी कि शिवराज कैबिनेट में विंध्य से प्रतिनिधित्व नहीं था. जिसके बाद क्षेत्रीय प्रतिनिधि लगातार मांग कर रहे थे कि क्षेत्र को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. अब क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के लिए विधानसभा अध्यक्ष का पद गिरीश गौतम को दिया जा रहा है. गिरीश गौतम चार बार विधायक रहे हैं.

गिरीश गौतम को जानिए

  • 4 बार विधायक रहे हैं गिरीश गौतम
  • 2003 में पहली बार बने विधायक
  • गौतम विधानसभा के 18वें अध्यक्ष होंगे
  • 1972 में छात्र राजनीति में आए थे
  • विंध्य में गिरीश गौतम की है मजबूत पकड़
  • विंध्य में बीजेपी का बड़ा चेहरा हैं गिरीश गौतम
  • मजदूरों-किसानों के संघर्ष के लिए जाने जाते हैं

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