ग्वालियर। सूबे का सियासी समीकरण पल-पल बदल रहा है. सीएम कमलनाथ अपनी कुर्सी बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. वहीं विपक्ष, सत्ता में वापसी के लिए तमाम हथकंडे अपना रहा है. सत्ता पर काबिज होने की होड़ में मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. वहीं राज्यपाल, मुख्यमंत्री और विधानसभा स्पीकर के बीच पत्राचार लगातार जारी है. राज्यपाल के निर्देश के बाद भी सदन में फ्लोर टेस्ट नहीं हो पाया. जवाब में कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र लिखते हुए बीजेपी पर कांग्रेस विधायकों को बंधक बनाने की बात कही थी. इसके अलावा सीएम कमलनाथ ने ऐसी स्थिति में राज्यपाल की शक्तियों से संबंधित अरुणाचल प्रदेश मामले का जिक्र भी किया.
अरुणाचल प्रदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के मामले में स्थित साफ कर दी है. जिसका आंकलन करने पर सामने आता है कि प्रदेश में राज्यपाल ने अरूणाचल प्रदेश जैसे विधानसभा सत्र के संबंध में कोई छेड़छाड़ नहीं की है. वहीं संविधान, राज्यपाल को विवेकाधिकार की शक्ति प्रदान करता है. जिसमें उसे लगता है कि संबंधित राज्य का मुख्यमंत्री बहुमत खो चुका है, तो उसे वो बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं. लेकिन विधानसभा पटल पर बहुमत परीक्षण से संबंधित अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास हैं. हमने कानून के जानकार से बात की तो उन्होंने प्रदेश में चल रही राजनीतिक संकट पर कई अहम बिंदु पर रोशनी डाली. उन्होंने बताया कि अगर राज्यपाल के आदेश के बाद संबंधित राज्य का मुख्यमंत्री सदन में बहुमत साबित करने से बच रहा हो तो वो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकते हैं.
क्या राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रहा प्रदेश ?
अब मध्यप्रदेश लगभग ऐसी स्थिति बन रही है, क्योंकि कांग्रेस के बागी विधायकों ने स्थिति साफ कर दी है कि वो कमलनाथ सरकार के साथ नहीं हैं. विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस देने के बाद भी वो सदन में उपस्थित नहीं हुए. ऐसे में अगर इन विधायकों को बर्खास्त भी कर दिया जाता है, तो कमलनाथ सरकार स्पष्ट तौर पर अल्पमत में आ जाएगी. राज्यपाल लालजी टंडन ने इन्हीं परिस्थियों को लेकर सीएम को फ्लोर टेस्ट के लिए निर्देशित किया था. लेकिन सीएम ने इसका पालन नहीं होने पर प्रदेश में एक संवैधानिक संकट की स्थिति बन गई है. ऐसे में राज्यपाल के पास अधिकार हैं कि वो राष्ट्रपति से राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकते हैं. हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है. जिसकी सुनाई बुधवार को होनी है. जिसके बाद ही मामला साफ हो पाएगा.