ग्वालियर। झांसी रोड पर कला समूह के बाहर जयपुर से कई सालों पहले ग्वालियर आए मजदूर हाथ से बनी कला कृतियां बनाकर बेचते हैं, लेकिन इस लॉकडाउन ने उन्हें बुरी तरह से झंकझोर दिया है. ना तो उनके पास कोई ग्राहक आ रहा है और ना ही उन्हें मजदूरी मिल रही है.
कमाने की चिंता, खाने के पड़े लाले, मजदूरों को ही नहीं पता 1 मई को क्या है - लॉकडाउन में मजदूर
मई दिवस को भले ही मजदूरों के लिए जाना जाता है, लेकिन मजदूरों को ही नहीं पता कि उनके नाम से भी कोई दिन साल में आता है. उन्हें तो लॉकडाउन ने रोजी-रोटी से भी महरूम कर रख दिया है.
मजदूरों को ही नहीं पता मई दिवस, लॉकडाउन ने बिगाड़ी इनकी स्थिति
मजदूर दिवस पर जब ईटीवी भारत ने उनसे बात की गई तब उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में हमें कुछ समाजसेवी द्वारा खाने और नाश्ते की मदद पहुंचाई गई थी, लेकिन अब वह भी बंद हो चुकी है.
वे अपने परिवार के साथ यहां रहते हैं. पत्नी और बच्चों के भूखे रहने के कारण वे कई बार बेहद परेशान हो जाते हैं, सरकार की मदद के नाम पर उन्हें अभी तक कुछ नहीं मिला है. सड़क पर ही उनका ठिकाना है, कुछ दिनों पहले उनका मजदूरी कार्ड जरूर बन गया था.
Last Updated : May 1, 2020, 6:18 PM IST