ग्वालिर। 15 अगस्त 1947 को हिंदुस्तान आजाद हुआ और उसके बाद से ही हिंदुस्तान की अलग-अलग रियासतों का विलय होना शुरु हुआ. उसी वक्त मध्य भारत के नाम से नए राज्य का गठन जन्म हुआ. जिसमें ग्वालियर और इंदौर रियासतों के अलावा 25 रियासतों का विलय किया गया था और मध्य भारत की राजाधानी के रूप में ग्वालियर को चुना गया, साथ ही जीवाजी राव सिंधिया को मध्य भारत के राज प्रमुख का दर्जा मिला. इतना ही नहीं सिंधिया को शपथ दिलाने उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू खुद ग्वालियर आए थे..
स्थापना दिवस: मध्य भारत की राजधानी थी ग्वालियर, मोती महल में लगती थी विधानसभा - Madhya Pradesh Foundation Day
15 अगस्त 1947 के बाद भारत की सभी रियासतों को एक कर दिया गया था और इसका नाम दिया गया था 'मध्य भारत'. ग्वालियर को मध्य भारत की राजधानी बनाया गया था.
राजधानी घोषित होने के बाद सिंधिया राजवंश ग्वालियर में विधानसभा लगाता था. भव्य मोती महल मध्य भारत की राजधानी में लगनेवाली विधानसभा का गवाह है. मोती महल के बीच एक दरबार हॉल है जहां विधानसभा लगती थी. पूरे महल में बेहतरीन नक्काशी की गई थी. इसकी दीवारें अपनी कहानी खुद बयां करती हैं. इस हॉल में 3 हजार से अधिक कमरे हैं.
1948 में जब जवाहरलाल नेहरू ने मध्य भारत का गठन किया था, उस वक्त सिंधिया और होल्कर के संबंध अच्छे नहीं थे, यही कारण है कि दोनों मध्य भारत के राज प्रमुख बनना चाहते थे. जिसके बाद तय किया गया कि इंदौर ग्रीष्मकालीन और ग्वालियर शीतकालीन राजधानी होगी, लेकिन बाद में मध्य प्रदेश का गठन हुआ और भोपाल को राजधानी बनाया गया. आज भी मोती महल से आधा दर्जन से अधिक विभाग संचालित किए जाते हैं. मोती महल की शान आज भी बरकरार है.