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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दी अपनी दादी को श्रद्धांजलि, जानें विजया राजे सिंधिया का राजनीतिक सफर

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Published : Oct 12, 2020, 6:38 PM IST

आज राजमाता विजयाराजे सिंधिया की 101वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 100 रुपए के सिक्के का अनावरण किया. देश का ये पहला राजपरिवार है, जिसके खानदान में मुखिया रहीं विजया राजे सिंधिया के नाम से 100 रुपए का सिक्का जारी किया गया है.

Rajmata Vijayaraje Scindias birth anniversary
राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जयंती

ग्वालियर। राजमाता विजयराजे सिंधिया की 101 जन्म शताब्दी पर भारत सरकार ने 100 रुपए का सिक्का जारी किया है. इस मौके पर खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में वर्चुअल रूप से यह सिक्का जारी किया, तो वहीं सिंधिया परिवार के गृह नगर ग्वालियर में सीएम शिवराज सिंह और बीजेपी के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ तमाम बड़े नेता कार्यक्रम में मौजूद रहे. देश का ये पहला राजपरिवार है, जिसके खानदान में मुखिया रहीं विजयाराजे सिंधिया के नाम से 100 रुपए का सिक्का जारी किया गया है. इस कार्यक्रम से पहले ग्वालियर में सीएम शिवराज सिंह, राज्यसभा सभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर राजमाता की बेटी यशोधरा राजे सिंधिया, पूर्व मंत्री माया सिंह सहित तमाम बड़े नेताओं ने छतरी पर पहुंचकर राजमाता को पुष्पांजलि अर्पित की. ये पहला मौका है, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया राजमाता को लेकर आयोजित किए गए बीजेपी के कार्यक्रम में शामिल हुए.

विजया राजे सिंधिया के नाम 100 रुपये का सिक्का जारी

1957 में की थी राजनीतिक पारी की शुरुआत

ग्वालियर पर राज करने वाली राजमाता विजया राजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस के साथ अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की. वो गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं. सिर्फ 10 साल में ही उनका मोहभंग हो गया और 1967 में जनसंघ में चली गईं. विजया राजे सिंधिया की बदौलत ही ग्वालियर क्षेत्र में जनसंघ मजबूत हुआ और 1971 में इंदिरा गांधी की लहर के बावजूद जनसंघ यहां की 3 सीटें जीतने में कामयाब रहा.

सिंधिया ने राजमाता विजयराजे सिंधिया को दी श्रद्धांजलि

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राजमाता विजयाराजे ने जब छोड़ी थी कांग्रेस

मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस की डीपी मिश्रा की सरकार हुआ करती थी, उस समय ग्वालियर में छात्रों की समस्या को लेकर छात्र आंदोलन हुआ था, जिसमें पुलिस ने छात्रों पर बर्बरता पूर्वक गोलियां चलाई, जिसमें कुछ छात्रों की मौत हो गई थी. इस आंदोलन से राजमाता बहुत नाराज हो गई थी. साथ ही दूसरी घटना सरगुजा महाराज के घर पुलिस कार्रवाई की थी, जिसमें डीपी मिश्र की सरकार ने उनके घर पुलिस भिजवा दिया. उस समय राजमाता विजय राजे सिंधिया भारत के सभी राजघरानों का नेतृत्व कर रही थीं. इस दौरान सरगुजा महाराज के घर में पुलिस कार्रवाई करने पहुंची थी, जिसका राजमाता ने खुला विरोध किया था. 1967 तक ये विरोध पूरी तरह से बगावत में बदल गया था. इसके बाद राजमाता विजय राजे सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ने का निर्णय लिया और वह जन संघ में शामिल हो गईं. राजमाता ने स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के रूप में गुना शिवपुरी से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. उस दौरान राजमाता विजयाराजे सिंधिया भाजपा की संस्थापक सदस्य रहीं.

राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जयंती

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दोहराया दादी का इतिहास

1967 में जिस तरीके से राजमाता विजयाराजे सिंधिया कांग्रेस पार्टी से नाराज होकर अपने विधायकों को लेकर जनसंघ में चली गई थीं. उस इतिहास को अब उनके पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी दोहराया. सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत करके कमलनाथ सरकार को गिराया और उसके बाद अपने समर्थक विधायकों को लेकर बीजेपी में चले गए. उन्होंने कहा, जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी ने मेरी दादी के साथ व्यवहार किया था, अब वो मेरे साथ दोहराया गया है. यही वजह है कि, सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद अब बीजेपी लगातार सिंधिया परिवार को अपनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है.

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भाजपा का कहना है, कि सिंधिया परिवार हमेशा से ही बीजेपी का रहा है. आज सिंधिया परिवार अपने घर वापस लौट आया है. इसीके चलते आज बीजेपी की संस्थापक रही राजमाता विजयाराजे सिंधिया के 101वें जन्म शताब्दी वर्ष पर बीजेपी सरकार ने उनके नाम का 100 रुपए का सिक्का जारी कर दिया है.

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