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विकास कार्यों का श्रेय लेने के बहाने सिंधिया तलाश रहे है सियासी जमीन? - विकास कार्यों का श्रेय लेने के बहाने

कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए नई पार्टी में पैठ जमाना किसी तेड़ी खीर से कम नहीं हैं. राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के लिए राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले कई महीनों से कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. सियासत की नई पारी में उनका पूरा फोकस ग्वालियर संसदीय क्षेत्र पर है.

Scindia with CM Shivraj
सीएम शिवराज के साथ सिंधिया

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Published : Mar 8, 2021, 9:38 PM IST

ग्वालियर। प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद, शिवराज सरकार में पार्टी के अंदर अभी भी सियासी भूचाल मचा हुआ है. भाजपा में स्थापित होने के साथ, ग्वालियर संभाग में अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के लिए बीजेपी के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले कई महीनों से कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. सियासत की नई पारी में उनका पूरा फोकस ग्वालियर संसदीय क्षेत्र पर है. यही वजह हैं कि राज्य सभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया शहर में हो रहे विकास कार्यों का श्रेय लेने की होड़ के बहाने ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में अपनी जगह बना रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना की जगह ग्वालियर में अपने आप को स्थापित करने में लगे हुए हैं, ताकि आने वाले चुनावों तक लोगों के दिल में जगह बना सके.

सियासत की नई पारी

राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले चुनाव में अपने परिवार की परंपरागत सीट गुना से करारी हार मिलने के बाद अब वह ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं. यही कारण है कि ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर और सिंधिया के बीच श्रेय लेने की होड़ लगातार जारी है और श्रेय लेने की होड़ इस समय चिट्ठी बार के रूप में देखी जा रही है.

गुना संसदीय क्षेत्र से सिंधिया परिवार लड़ा है पहला चुनाव

गुना सीट से लगातार सिंधिया परिवार ने 14 बार प्रतिनिधित्व किया है. राजमाता विजयराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना सीट से अपने जीवन का पहला चुनाव लड़कर सिसायत में कदम रखा है, लेकिन साल 2018 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया परिवार को पहली बार यहां से करारी हार का सामना करना पड़ा. खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने छोटे कार्यकर्ता से सवा लाख वोटों से हार गए. इसके बाद अपमान के भय से ज्योतिरादित्य सिंधिया नए क्षेत्र की तलाश में है और उनकी नजर ग्वालियर पर है.

सिंधिया तलाश रहे है सियासी जमीन?

सांसद विवेक नारायण शेजवलकर और सिंधिया के बीच श्रेय लेने की होड़

श्रेय लेने की होड़ में सांसद विवेक नारायण शेजवलकर और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच एक तरह से चिट्ठी बार शुरू हो चुका है. राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री को चिट्ठी लिखी. इस चिट्ठी में नए टर्मिनल के लिए मदद का अनुरोध किया गया. उसके बाद सांसद विवेक नारायण शेजवलकर की तरफ से भी एक चिट्ठी जारी हुई. चिट्ठी में टर्मिनल के लिए बिल्डिंग की आवश्यकता बताती हुई मदद मांगी गई है. उसके बाद भितरवार से गिरते जल स्तर पर चिंता जताते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पत्र लिखकर सीएम से चर्चा की, तो वही भितरवार बारानी घाटी का दौरा कर आंतरिक जल स्तर गिरने पर सांसद शेजवालकर करने चिट्ठी लिखी और चिंता जताई. चंबल से पानी ग्वालियर तक लाने के लिए केंद्र से 250 करोड़ की योजना मंजूर हुई और इसको लेकर सिंधिया ने इसे अपने प्रयास का नतीजा भी बताया तो वहीं सांसद शेजवालकर ने कहा कि वह बीते 10 साल से चंबल पेयजल योजना के लिए सरकार से मांग कर रहे हैं अब यह सपना साकार हो गया है.

पूरी बाइट- विवेक नारायण शेजवलकर, सांसद, बीजेपी

शहर की स्वर्ण रेखा नदी के विकास और उस पर एलिवेटेड रोड की स्वीकृति के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसका श्रेय खुद ले लिया तो वहीं सांसद शेजवालकर ने कहा किसके लिए लगातार मैं प्रयास कर रहा था. डीआरडीओ लैब की 200 मीटर के दायरे में सुप्रीम कोर्ट ने अवैध घोषित कर मकानों को तोड़ने का आदेश दिए थे. इसमें राज्य सरकार ने रक्षा मंत्री से बात कर शहर से बाहर शिफ्ट करने की सहमति बनाई. सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने रक्षा मंत्री से मुलाकात डीआरडीओ शिफ्टिंग का श्रेय लिया, तो वही सिंधिया ने भी कहा उन्होंने डीआरडीओ लैब्स शिफ्टिंग के लिए रक्षा मंत्री को पत्र लिखे हैं. वही ग्वालियर रेलवे स्टेशन को हैरिटेज लुक देने के लिए अभी हाल में ही 80 करोड रुपए की योजना मंजूर हुई है और इस योजना को ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी पहल बताने में लगे हुए हैं तो वहीं सांसद सेजवाल कर भी इसे अपने प्रयास व पत्राचार का नतीजा बता रहे हैं.

शहर में हो रहे विकास कार्यों का पूरा श्रेय ले रहे हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया

शहर में हो रहे विकास कार्यो का पूरा श्रेय वह खुद लेने में लगे हुए हैं. वह लगातार मंच से यह कहते नजर आते हैं कि मैंने केंद्र सरकार या फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अपील करके ग्वालियर में इतनी सौगातें लेकर आया हूं. विकास कार्य के शब्द में सिर्फ मैं शब्द लगा रहे हैं. यही वजह है कि यहां पर स्थानीय सांसद विवेक नारायण शेजवलकर और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर लगातार आंदोलन तरीके से सिंधिया के विरोध में खड़े हैं.

अंदरूनी दूरियों को दूर करने के लिए सिंधिया सांसद की पहुंचे थे घर

राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और सांसद विवेक नारायण शेजवलकर के बीच हुई अंदरूनी दूरियों को दूर करने के लिए खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद विवेक नारायण शेजवलकर के घर पहुंचे थे. जहां उन्होंने पूरे परिवार से मुलाकात की वहीं सांसद विवेक नारायण शेजवलकर सिंधिया को जनसंघ की एक रसीद सौंपी है. यह रसीद ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया को जन संघ में शामिल कराने वाली रसीद थी.

श्रेय लेने की बहाने ग्वालियर संसदीय क्षेत्र पर है ज्योतिरादित्य सिंधिया की नजर

राजनीतिक जानकारों के अनुसार बताया जा रहा है किस साल 2018 की लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने छोटे से कार्यकर्ता से करारी हार का सामना करना पड़ा था और यही वजह है कि इसका अपमान ज्योतिरादित्य सिंधिया आज भी अपने मन में बिठाई हुए हैं. बताया जा रहा है कि चंदिया अब गुना से चुनाव लड़ने के मूड में नहीं है, यही वजह है कि वह अपनी दूसरी जगह तलाशने में लगे हुए हैं और इनकी दूसरी जगह ग्वालियर पर आकर रुक चुकी है. यही वजह है कि लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया, ग्वालियर अंचल में दौरे करने में लगे हुए हैं तो वही छोटे से छोटे कार्यकर्ता के यहां जाकर मुलाकात भी कर रहे हैं.

11 महीने बाद भी सिंधिया और बीजेपी के नेताओं में अंदरुनी कलह

ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी में जाए हुए 11 महीने से अधिक समय हो चुका है लेकिन आज भी ग्वालियर अंचल में सिंधिया और बीजेपी के नेता कार्यकर्ताओं के बीच आपसी समझ में उसकी स्थिति नहीं बन पाई है. जब भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर दौरे पर आते हैं तो वहां पर कोई भी बीजेपी का कार्यकर्ता और नेता दिखाई नहीं देता है और अब हालात यह है कि इस समय सिंधिया और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बीच आपसी वर्चस्व की लड़ाई भी छिड़ी है. जब-जब ज्योतिरादित्य सिंधिया की दूरी होती हैं तो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इसमें पीछे नहीं होते हैं.

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