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जौरा उप-चुनाव: फिर उठा कैलारस शुगर मिल का मुद्दा, कांग्रेस-बीजेपी आमने सामने

मुरैना के प्रभारी मंत्री लाखन सिंह यादव ने कैलारस शुगर मिल को लेकर कहा कि सरकार इसे शुरू करना चाहती है. इसे पीपीपी मॉडल पर शुरू करने का प्लान है. वहीं बीजेपी ने शुगर मिल को कांग्रेस का केवल चुनावी मुद्दा बताया है.

Jaura by-election: Then the issue of Calaras Sugar Mill
जौरा उपचुनाव: फिर उठा कैलारस शुगर मिल का मुद्दा

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Published : Feb 27, 2020, 10:45 AM IST

Updated : Feb 27, 2020, 11:29 AM IST

ग्वालियर। मुरैना जिले के जौरा विधानसभा उपचुनाव आते ही बंद पड़ी मुरैना जिले की कैलारस शुगर मिल का मुद्दा एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है. मुरैना के प्रभारी मंत्री लाखन सिंह यादव का कहना है कि मध्यप्रदेश सरकार कैलारस शुगर मिल को शुरू करना चाहती है. शुगर मिल पीपीपी मॉडल पर शुरू करने का प्लान है. वहीं बीजेपी सांसद विवेक शेजवलकर ने प्रभारी मंत्री के बयान को चुनावी मुद्दा बताते हुए कहा कि कांग्रेस केवल लोगों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने बताया कि ऐसा पहली बार नहीं है कि जब चुनाव में कैलारस शुगर मिल चुनावी मुद्दा बना हो.

जौरा उपचुनाव: फिर उठा कैलारस शुगर मिल का मुद्दा

सांसद शेजवलकर ने याद दिलाते हुए कहा कि 2013 के चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस शुगर मिल को एक बार फिर चालू करने की बात कही थी, 2018 में जब चुनाव हुए तो कांग्रेस ने भी इसी बात को दोहराया था लेकिन कमलनाथ सरकार को एक साल बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया है.

ग्वालियर हाईकोर्ट बेंच अपने एक आदेश में ये निर्देश दे चुका है कि एक प्रशासक नियुक्त करके शुगर मिल के सामान की बिक्री कर किसानों मजदूरों और बैंकों का बकाया 32 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाए. दरअसल साल 1975 में कैलारस में शुगर मिल को स्थापित किया गया था. उस समय इस इलाके में गन्ने की फसल भरपूर होती थी. स्थानीय जानकारों का मानना है कि उस समय मिल में 1500 से अधिक मजदूर काम करते थे और उसका प्रोडक्शन भी बेहतर था लेकिन साल 2000 के बाद प्रशासनिक अनदेखी और बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते शुगर मिल का प्रोडक्शन लगातार घटता गया. जिसके चलते कई मजदूरों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया.

किसानों की 1 करोड़ से ज्यादा है बकाया राशि

साल 2008-09 में सरकार ने इस मिल को बंद करने का फैसला लिया था, तब से ही ये मिल बंद है. शुगर मिल पर एक करोड़ के लगभग किसानों का बकाया है, वहीं 20 करोड़ के लगभग इस मिल में काम करने वाले मजदूरों का वेतन बकाया है. इसके अलावा 10 करोड रुपए बैंकों का भी बकाया है क्योंकि शुगर मिल ने मिल संचालन के लिए विभिन्न बैंकों से लोन लिया था.

Last Updated : Feb 27, 2020, 11:29 AM IST

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