ग्वालियर।विश्व में पत्रकार और लेखकों को उनके बेहतरीन कार्य के लिए दिया जाने वाला पुलित्जर पुरस्कार विवादों में आ गया है. इस पुरस्कार के तरीके और पुलित्जर पुरस्कार के निर्देशक मंडल के खिलाफ कुछ बुद्धिजीवियों ने नाराजगी जाहिर की है.
कश्मीरी पत्रकारों को पुलित्जर पुरस्कार देने का विरोध, पत्र लिखकर अवार्ड वापस लेने की मांग
कश्मीर के दो फोटो पत्रकारों को पुलित्जर पुरस्कार देने का देश के कई बुद्धजीवियों ने विरोध किया है. इसी कड़ी में जिले के दो वकीलों ने भी पुलित्जर पुरस्कार के निर्देशक मंडल और चयनकर्ताओं को एक पत्र लिखा है.
बुद्धजीवियों का कहना है कि पुलित्जर पुरस्कार इस बार अलगाववादी सोच और देश विरोधी कृत्य में शामिल पत्रकारों को दिया गया है. इसको लेकर ग्वालियर के एडवोकेट दीपेंद्र सिंह कुशवाहा और भानु प्रताप सिंह चौहान ने पुलित्जर पुरस्कार के निर्देशक मंडल और चयनकर्ताओं को एक पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने सेना पर मारते हुए एक कश्मीरी पत्थरबाज, आतंकवादियों द्वारा एक 11 वर्ष के मासूम की हत्या के बाद का फोटो और फ्री कश्मीर के बैनर को पुरस्कृत किया है. एडवोकेट भानु प्रताप सिंह चौहान के मुताबिक पुलित्जर पुरस्कार के निर्देशकों का यह कृत्य देश विरोधियों को महिमामंडित करता है. इसके साथ ही देशद्रोही लोगों को बढ़ावा देने वाला है. दोनों वकीलों ने भारत देश के हित में इस पुरस्कार को वापस लेने की मांग की है.
बता दें कि पुलित्जर पुरस्कार पत्रकारिता के क्षेत्र में एक बड़ा पुरस्कार है. जो कि पुरस्कार देश के बड़े पत्रकारों को मिल चुका है. लेकिन इस बार यह पुरस्कार कश्मीर के दो फोटो पत्रकारों मुख्तार खान और यासीन डार को दिया गया है. जिन्होंने 370 धारा हटने के बाद कश्मीर के हालातों पर पत्रकारिता की है. लेकिन इनकी चयनित फोटो में कश्मीर को भारत प्रशासित कश्मीर बताया गया है. जिसका बुद्धजीवियों द्वारा विरोध किया गया है.