ग्वालियर। क्या आप कोरोना से बचने के लिए मास्क खरीदने जा रहे हैं ? अगर आपको एक असली और गुणवत्तायुक्त मास्क मिल जाए तो आप खुद को सौभाग्यशाली मान सकते हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल में पता चला है कि देश में ऑफलाइन और ऑनलाइन बाजारों में अधिकतर मास्क कंपनियां सर्टिफिकेशन होने का झूठा दावा कर रहीं हैं. इस बारे में ग्राहकों को कम जानकारी होने के कारण और किसी उचित सरकारी निगरानी के अभाव में बड़ी ही बेशर्मी से कई मास्क मैन्यूफेक्चरर महामारी का फायदा उठा रहे हैं. जिससे बाजार में नकली मास्क और निम्न गुणवत्ता वाले मास्क की बाढ़ आ गई है. लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि कौन से मास्क असली हैं और कौन से नकली.
ज्यादातर कंपनियों के नमूने फेल
देशभर में संक्रमण से बचाव के लिए तैयार हो रहे मास्क का परीक्षण ग्वालियर की डीआरडीओ लैब में किया जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 3 महीने में मास्क बनाने वाली 809 कंपनियों के नमूने का परीक्षण किया गया है. जिसमें 483 कंपनियों के नमूने फेल हो गए हैं. महज 326 कंपनियों के नमूने ही लैब में मानकों पर खरे उतर पाए हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि बाजार में अलग-अलग कंपनी और डिजाइन के बेचे जाने वाले मास्क लोगों के लिए कितने सुरक्षित हैं.
देशभर में करीब एक हजार से ज्यादा ऐसी कंपनियां हैं, जो अपने स्तर पर मास्क तैयार कर रहीं हैं. लेकिन इनमें से आधे से अधिक कंपनियों के मास्क बिना परीक्षण के ही मार्केट में धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं. इसलिए देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले के लिए एक कारण ये नकली मास्क भी माने जा सकते हैं.