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कारगिल युद्ध में यहां के जवानों ने दिखाया था जौहर तो यहीं से उड़कर मिराज ने दुश्मनों को चटाई थी धूल - Operation safed sagar

कारगिल विजय में ग्वालियर-चंबल का विशेष योगदान रहा, यहां के जवानों ने अपना जौहर दिखाया था, जबकि ग्वालियर एयरबेस का भी करगिल विजय में विशेष योगदान रहा है.

Kargil Victory Day
कारगिल विजय दिवस

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Published : Jul 21, 2020, 1:25 PM IST

Updated : Jul 23, 2020, 10:33 AM IST

ग्वालियर।कारगिल युद्ध में दुश्मनों को धूल चटाने में ग्वालियर-चंबल अंचल के जवानों का विशेष योगदान रहा है. कारगिल युद्ध में सबसे ज्यादा ग्वालियर-चंबल अंचल के जवान भाग लिए थे और सबसे ज्यादा जवान भी इसी अंचल से शहीद हुए थे, लेकिन इन जवानों के अलावा इस अंचल का एयरबेस भी दुश्मनों को धूल चटाने में अहम योगदान दिया था. महाराज पुरा इलाके में बना वायु सेना का एयरबेस स्टेशन देश में इकलौता स्टेशन है, जो दुश्मनों की रडार से बाहर है. महाराजपुरा एयरबेस भारतीय वायु सेना के 'मिराज' विमानों का सबसे बड़ा एयर फोर्स स्टेशन है.

कारगिल युद्ध में 'मिराज' एयरक्राफ्ट ने दुश्मनों को चटाई थी धूल

1999 में कारगिल युद्ध में मिराज विमान ने इतिहास रचा था. कारगिल युद्ध के समय मिराज विमानों ने ग्वालियर से उड़ान भरकर 30 हजार फीट की ऊंचाई से पाकिस्तान पर हमला किया था. इस दौरान मिराज विमानों से लेजर गाइडेड बम का इस्तेमाल किया गया था. जब करगिल की पहाड़ियों में छिपे दुश्मन हमलावर होने लगे तो उन्हें मारने की जिम्मेदारी ग्वालियर के महाराजपुरा एयरवेज पर तैनात मिराज को सौंपी गई थी. उसके बाद अब तक हुए युद्धों में ये एयरवेज महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.

ऑपरेशन 'सफेद सागर'

कारगिल युद्ध के समय मिराज ने ग्वालियर से उड़ान भरकर 30 हजार फीट की ऊंचाई से दुश्मन पर हमला किया था. जिसमें लेजर बम का इस्तेमाल किया गया. दुश्मनों पर कहर बरपाने वाले मिराज एयरक्राफ्ट कारगिल युद्ध के समय ऑपरेशन 'सफेद सागर'के तहत अपना जौहर दिखा चुके हैं. ऑपरेशन सफेद सागर में कारगिल की पहाड़ियों में छिपे दुश्मन को मारने की जिम्मेदारी ग्वालियर की महाराजपुरा एयरवेज पर तैनात मिराज स्क्वाड्रन को सौंपी गई थी.

कारगिल युद्ध के दौरान जब दुश्मन करगिल की पहाड़ी में छिप गए थे, उसके बाद वे लगातार भारतीय सेना पर हमला करते रहे थे. तब भारतीय वायु सेना के मिराज एयरक्राफ्ट ने ग्वालियर से उड़ान भरकर दुश्मनों को धूल चटाई और कारगिल को हिंदुस्तान ने जीत लिया. कारगिल विजय में सबसे बड़ा योगदान ग्वालियर से उड़ी 'मिराज' एयरक्राफ्ट का है, जिसमें ग्वालियर के साथ-साथ पूरे देश का नाम रोशन किया है.

भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में कई जवान शहीद हुए थे, उन्हीं की याद में 24 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. जिसमें देश के कई जवानों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था. 1965, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में इसी एयर फोर्स स्टेशन से लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी थी. ये स्टेशन देश का एकमात्र एयरबेस है, जहां फाइटर प्लेन में हवा में ईंधन भरा जा सकता है, यानी युद्ध के दौरान उड़ान के वक्त किसी फाइटर प्लेन को ईंधन की जरूरत पड़ी तो इस एयरबेस से दूसरा जेट प्लेन हवा में ही उसे रिफ्यूल कर सकता है.

Last Updated : Jul 23, 2020, 10:33 AM IST

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